बैड लोन के कारण FY18 में सरकारी बैंको का घाटा उच्चतम स्तर पर पहुंचा: रिपोर्ट
अकेले चौथी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग सेक्टर का कुल घाटा 62,681 करोड़ (9.30 बिलियन डॉलर) रुपये रहा है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकारी बैंकों का कुल घाटा इस साल 31 मार्च 2018 को खत्म हुए वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 85,370 (12.65 डॉलर) करोड़ रुपये रहा है। केंद्रीय बैंक के सख्त नियमों के बाद इसमें और इजापा देखने को मिला है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से फरवरी में आधा दर्जन ऋण पुनर्गठन योजनाओं को वापस लेने और अन्य प्रतिबंध लगाने के बाद मार्च तिमाही में भारत के 21 प्रमुख बैंकों जो कि अधिकांश हिस्सेदारी रखते हैं, के घाटे में बढ़त देखी गई।
अकेले चौथी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग सेक्टर का कुल घाटा 62,681 करोड़ (9.30 बिलियन डॉलर) रुपये रहा-वहीं इंडियन बैंक और विजया बैंक शुद्ध मुनाफा कमाने में असफल रहा है। इससे पहले भी बैंकों ने पूर्व के दो सालों में घाटा दर्ज कराया है जिसमें प्रमुख वजह बैड लोन रही है। लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 का घाटा अब तक का सबसे बड़ा घाटा है।
21 बैंकों में सकल गैर-निष्पादित ऋण तीन महीने पहले के मुकाबले 15 फीसद बढ़कर मार्च अंत तक 8.96 लाख करोड़ रुपये (133 बिलियन डॉलर) पर पहुंच गया। वहीं बैंकों के कुल लोन में से बैड लोन की भी हिस्सेदारी अधिकांश बैंकों में बढ़ी है, जिसमें से आईडीबीआई बैंक इस मामले (बैड लोन) में 27.95 फीसद के साथ सबसे आगे है, इसके बाद अगला नंबर आता है ओवरसीज बैंक का जो कि 25.28 फीसद का रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि बैड लोन के स्तर में इजाफा ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र सरकार अगले दो सालों में 2.11 लाख करोड़ रुपये के पुर्नपूंजीकरण के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत सुधारने का फैसला कर चुका है।