कोरोना काल में 51 हजार से अधिक नई कंपनियां ने कराया रजिस्ट्रेशन, 3,333 कंपनियों ने कारोबार बंद करने की दी जानकारी
कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संकट के बीच इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान कुल 51807 नई कंपनियों के पंजीयन किए गए। वहीं 3333 कंपनियों ने अपने पंजीयन को रद्द करने के लिए आवेदन दिए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले पांच महीनों में आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट रही, लेकिन नए कारोबारियों के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। कारपोरेट मामले मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान कुल 51,807 नई कंपनियों के पंजीयन किए गए। वहीं, 3333 कंपनियों ने अपने पंजीयन को रद्द करने के लिए आवेदन दिए।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक पहले यह समझा रहा था कि कोरोना काल में नई कंपनियों के पंजीयन के लिए आवेदन नहीं आएंगे, लेकिन देश के हर राज्य में कोरोना काल में नई कंपनियों के पंजीयन किए गए। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-अगस्त के दौरान सबसे अधिक महाराष्ट्र में 8677 नई कंपनियों के पंजीयन किए गए। उत्तर प्रदेश में भी उद्यमियों को कारोबार की अधिक संभावना दिख रही है। अप्रैल-अगस्त के दौरान उत्तर प्रदेश में 5469 कंपनियों के पंजीयन किए गए।
सेवा क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बनती जा रही दिल्ली में इस दौरान 5803 कंपनियों के पंजीयन किए गए। औद्योगिक रूप से पिछड़े बिहार में इस साल अप्रैल-अगस्त में 1907 कंपनियों ने पंजीयन कराए तो झारखंड में 761 कंपनियों के पंजीयन किए गए। हरियाणा में 2728, पंजाब में 755, उत्तराखंड में 486, हिमाचल में 199 कंपनियों के पंजीयन किए गए। राजस्थान के प्रति भी उद्यमियों का रुझान बढ़ रहा है और यहां इस साल अप्रैल-अगस्त में 2025 नई कंपनियों के पंजीयन किए गए।
कारपोरेट मामले मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल-अगस्त की अवधि में उत्तर प्रदेश में 959 कंपनियों ने अपने पंजीयन को रद्द करने के लिए आवेदन दिए। दिल्ली में 625, हरियाणा में 134, पंजाब में 333, तमिलनाडु में 145, बिहार में 103, झारखंड में 17 कंपनियों की तरफ से पंजीयन रद्द करने के आवेदन दिए गए। महाराष्ट्र में अप्रैल-अगस्त के दौरान किसी भी कंपनी ने अपने पंजीयन को रद्द करने के आवेदन नहीं दिए। उत्तराखंड और हिमाचल जैसे राज्यों में भी किसी कंपनी ने पंजीयन समाप्त करने की गुजारिश नहीं की।
एमएसएमई कंपनियों को राहत की तैयारी
सरकार एमएसएमई कंपनियों के बकाए भुगतान और सरकारी खरीद में उन्हें अधिक से अधिक मौका दिलाने के लिए नियम में बदलाव कर सकती है। इस सिलसिले में नीति आयोग की तरफ से एमएसएमई संगठनों के साथ चर्चा की गई और उनसे सुझाव मांगे गए। अभी सरकार के बार-बार कहने पर भी कंपनियां एमएसएमई के बकाए का भुगतान तय समय पर नहीं कर रही है। इससे एमएसएमई को कार्यशील पूंजी की भारी किल्लत हो रही है।