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फिलहाल सप्लायर्स के लिए अनिवार्य नहीं है एआरएन

एप्लीकेशन रिफरेंस नंबर (ARN) GST सिस्टम पोर्टल की तरफ से जारी होने वाली एक रसीद है

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 10 Jul 2017 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 10 Jul 2017 10:54 AM (IST)
फिलहाल सप्लायर्स के लिए अनिवार्य नहीं है एआरएन
फिलहाल सप्लायर्स के लिए अनिवार्य नहीं है एआरएन

नई दिल्ली (जेएनएन)। एप्लीकेशन रिफरेंस नंबर (एआरएन) को सामान खरीदने के लिए टैक्स एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर कंपनियों या फिर करदाताओं के लिए अनिवार्य हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) ने यह स्पष्ट किया है कि जिन करदाताओं ने इसे सक्रिय कर लिया है, उनके लिए नामांकन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 30 सितंबर तक का समय है। एआरएन को लेकर करदाताओं की असुविधा के बारे में रिपोर्ट मिलने के बाद स्पष्टीकरण जारी किया गया है।

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एआरएन यानी आवेदन संदर्भ संख्या जीएसटी सिस्टम पोर्टल की तरफ से जारी होने वाली एक रसीद है। यह उन करदाताओं के लिए है जिन्होंने आवेदन पत्र के भाग ए और बी दोनों को पूरा करने के बाद सफलतापूर्वक अपना आवेदन जमा कर दिया है। हालांकि, बहुत से करदाताओं ने अभी तक नामांकन आवेदन के भाग ए को ही पूरा किया है। इससे उनकी जीएसटीएन प्रोफाइल सक्रिय हो गई है।

वस्तु व सेवा कर कानून/नियम के तहत पहली जुलाई से तीन महीने की अवधि के भीतर जीएसटी पोर्टल पर आवेदन के भाग बी को प्रस्तुत करना या पूरा करना सभी सक्रिय उपयोगकर्ताओं के लिए अनिवार्य है। भाग बी के पूरा होने और टैक्स अफसरों द्वारा सत्यापन के बाद जीएसटी सिस्टम द्वारा स्थायी पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।

जीएसटीएन के प्रमुख नवीन कुमार ने बताया कि यह देखने में आ रहा है कि कुछ करदाताओं ने अपने विक्रेताओं से सामान को खरीदने के लिए एआरएन अनिवार्य कर दिया है। यह भी पता चला है कि कुछ टैक्स एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर कंपनियां भी ऐसा कर रही हैं। उन्होंने अपने एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर में एआरएन की रिपोटिर्ंग अनिवार्य कर दिया है। ऐसा होने से कारोबारियों को अपने दिन-प्रतिदिन की व्यापारिक गतिविधियों का संचालन करने में दिक्कत आ रही है। एआरएन अनिवार्य बनाने से बड़ी संख्या में ऐसे कारोबारी छूट जायेंगे, जिन्होंने भाग बी नामांकन फॉर्म पूरा नहीं किया है।

कुमार के मुताबिक ऐसे व्यापारियों को इसे पूरा करने के लिए तीन महीने यानी 30 सितंबर तक का समय है। साथ ही, जीएसटी कानून के तहत एआरएन का कोई महत्व नहीं है। इसलिए सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे एआरएन पर जोर नहीं दें। पंजीकृत करदाता को दिए गए प्रॉविजनल आइडी (पीआइडी), उनके जीएसटिन और कुछ और ही हैं जो व्यापार लेनदेन के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं।

जीएसटी के तहत पंजीकृत उन सभी करदाताओं और वैध पैन धारकों को पंजीकरण का प्रॉविजनल सर्टिफिकेट दिया जाना है। ऐसे करदाताओं को संबंधित कर अधिकारियों द्वारा पीआइडी और पासवर्ड टोकन जारी किया गया है। उन्हें इस पीआइडी और टोकन का उपयोग करके जीएसटी पोर्टल पर नामांकन आवेदन के भाग ए को भरकर अपनी प्रोफाइल को सक्रिय करना होगा। आवेदन का भाग बी प्रक्रिया का दूसरा और अंतिम चरण है।


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