आर्सेलर मित्तल और न्यूमेटल की एस्सार स्टील के लिए बोली रद
एस्सार स्टील के लिए सिर्फ इन दो कंपनियों ने बोलियां लगाई थीं। इस कंपनी पर बैंकों का 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज बाकी है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकों के 45000 करोड़ रुपये के कर्ज लौटाने में नाकाम एस्सार स्टील को बेचने में और देरी हो सकती है। बैंकों ने रूस के वीटीबी बैंक और रेवंत रुइया के संयुक्त कंपनी न्यूमेटल और आर्सेलर मित्तल की बोलियां रद कर दीं। इस बीच, न्यूमेटल ने कहा है कि उसने खुद को योग्य बिडर घोषित करने की प्रार्थना करते हुए नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) में आवेदन प्रस्तुत किया है।
सूत्रों के अनुसार एस्सार स्टील की कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) की बैठक में इस पर फैसला किया गया। हालांकि बैंकों ने दूसरे दौर की बिडिंग करने पर सहमति जताई है। सूत्रों ने बताया कि न्यूमेटल और आर्सेलर मित्तल संशोधित इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के सेक्शन 29ए के तहत अयोग्य पाए गए। इन दोनों कंपनियों के प्रस्ताव इस आधार पर संतोषजनक नहीं मिले कि बोली लगाने वाली कंपनी का डिफॉल्टर हुए प्रमोटर से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। एस्सार स्टील के लिए सिर्फ इन दो कंपनियों ने बोलियां लगाई थीं। इस कंपनी पर बैंकों का 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज बाकी है। पिछले 12 फरवरी को बोली लगाने के बाद से ही ये दोनों कंपनियां योग्यता के सवाल पर एक-दूसरे के साथ भी उलझ गई हैं।
आर्सेलर मित्तल ने बोली लगाने के लिए निप्पोन स्टील एंड सुमिटोमो मेटल कॉरपोरेशन के साथ हाथ मिलाया है। उत्तम गल्वा के साथ संयुक्त उपक्रम के लिए आर्सेलर मित्तल को अयोग्य पाया गया। न्यूमेटल के मामले में इसके एक प्रमोटर रेवंत रुइया हैं जो एस्सार स्टील के प्रमोटर रवि रुइया के पुत्र हैं।
बैंकों का कहना है कि अगर ये कंपनियां डिफॉल्टर प्रमोटरों से खुद को अलग कर लेती हैं या डिफॉल्टर कंपनी लोन अदा कर देती है तो वे दूसरे दौर की बिडिंग में हिस्सा ले सकेंगी। बैंकों ने दूसरे दौर की बिडिंग के लिए अंतिम तारीख दो अप्रैल तय की है। लेकिन इस बिडिंग में कोई खास नतीजा निकलेगा, इसकी उम्मीद कम ही है क्योंकि टाटा स्टील, अनिल अग्रवाल का वेदांता ग्रुप और जेएसडब्ल्यू स्टील इसमें हिस्सा लेने से पहले ही इन्कार कर चुके हैं।