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आसान नहीं होगा बैंकों के फंसे कर्ज पर सवालों का जवाब देना

बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए की सकल राशि (ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिग असेट) नौ साल में 12 गुना हो गयी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 14 Apr 2018 12:14 PM (IST)Updated: Sun, 15 Apr 2018 07:42 AM (IST)
आसान नहीं होगा बैंकों के फंसे कर्ज पर सवालों का जवाब देना

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पीएनबी घोटाला उजागर होने के बाद सवालों के घेरे में आई बैंकों की कार्यप्रणाली के बारे में सरकारी बाबुओं का तीखे सवालों से दो-चार होना पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के बाबुओं के लिए फंसे कर्ज यानी एनपीए की समस्या पर संसदीय समिति के सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि मंत्रालय के अधिकारी अपना होमवर्क करने में जुट गए हैं।

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दरअसल बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए की सकल राशि (ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिग असेट) नौ साल में 12 गुना हो गयी है। हाल यह है कि दिसंबर 2017 में जीएनपीए की राशि 8,31,141 करोड़ रुपये है। यह राशि भारत सरकार के बजट के लगभग एक तिहाई के बराबर है। खास बात यह है कि इसमें अधिकांश एनपीए सरकारी बैंकों का है। सरकारी बैंक वित्त मंत्रालय के बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा विभाग के तहत आते हैं। ऐसे में जब 17 अप्रैल को वित्त मंत्रालय के अधिकारी संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थायी समिति के समक्ष पेश होंगे तो उनके लिए संसद सदस्यों के तीखे सवालों का जवाब देना आसान नहीं होगा।

हालांकि सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों ने इसके लिए होमवर्क करना शुरू कर दिया है। अधिकारी उन उपायों की सूची तैयार करने में जुट गए हैं जिनके जरिये सरकार ने एनपीए को घटाने की कोशिश की है। हालांकि हाल के वर्षो में एनपीए की राशि में उछाल आया है। सूत्रों का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में एनपीए को छिपाकर रखा गया था जबकि अब इसे पारदर्शी ढंग से पेश किया गया है। यही वजह है कि एनपीए में वृद्धि दिख रही है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त मामलों संबंधी स्थायी समिति की 17 अप्रैल को होने वाली बैठक में बैंकों और वित्तीय संस्थानों की फंसे कर्ज की राशि पर सवाल पूछने के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया है।


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