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सरकारी बैंकों में विलय पर फैसला ले सकती है सरकार, जल्द घोषणा के आसार

पिछले वर्ष ही एसबीआइ में इसके पांच सब्सिडियरी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया गया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 10:13 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 10:22 AM (IST)
सरकारी बैंकों में विलय पर फैसला ले सकती है सरकार, जल्द घोषणा के आसार
सरकारी बैंकों में विलय पर फैसला ले सकती है सरकार, जल्द घोषणा के आसार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बेहद खस्ता हाल वित्तीय स्थिति से गुजर रहे सरकारी क्षेत्र के बैंकों में अब विलय व एकीकरण सरकार का अगला एजेंडा है? दो दिन पहले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल की सार्वजनिक क्षेत्र के 13 बैंकों प्रमुखों के साथ बैठक में जिस तरह से इस बारे में चर्चा हुई है उससे साफ है कि यह सरकार का एक बड़ा एजेंडा है जिसे वह अब ज्यादा दिनों तक नहीं टालना चाहती। इस बैठक में हुई चर्चा की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो बैंक विलय के पहले चरण की घोषणा जल्द होने के आसार हैं। पहले चरण में चार बैंकों के विलय का एलान किया जा सकता है। जिसमें दो बड़े और दो छोटे आकार के सरकारी बैंक होंगे।

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गोयल वित्त मंत्री का अतिरिक्त पद भार संभालने से पहले ही सरकारी बैंकों के विलय प्रक्रिया से जुड़े हुए हैं। दरअसल, अक्टूबर, 2017 में केंद्र सरकार ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक वैकल्पिक व्यवस्था का गठन किया था जिसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और कोयला व रेल मंत्री पीयूष गोयल भी सदस्य बनाए गए थे। इन तीन मंत्रियों को ही सरकारी बैंकों के विलय पर आने वाले प्रस्तावों पर अंतिम फैसला करना था। गोयल का ही यह सुझाव था कि भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार को बैंक विलय पर एक विस्तृत प्रजेंटेशन देना चाहिए। सनद रहे कि पिछले वर्ष ही एसबीआइ में इसके पांच सब्सिडियरी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया गया है।

एसबीआइ चेयरमैन ने अपने प्रजेंटेशन में बताया कि विलय उनके बैंक के लिए एक बेहतरीन फैसला साबित हो रहा है। बैठक में शामिल सभी बैंकर इस बात पर सहमत थे कि मौजूदा परिदृश्य में विलय सही दिशा में कदम होगा।

बैंकिंग क्षेत्र के सूत्रों का कहना है कि सरकार के भीतर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के सारे संभावित पहलुओं पर चर्चा हो चुकी है और यह माना जा रहा है कि इसको लेकर कोई बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा नहीं होगा। पिछली यूपीए सरकार और उसके पहले की वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में भी विलय पर बात आगे बढ़ी थी लेकिन किसी न किसी वजह से उसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। सरकार मानती है कि विलय के जरिये आकार बढ़ने से बैंक को वित्तीय मजबूती प्राप्त होगी। केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष के शुरुआत में कहा था कि दिसंबर, 2017 तक वह तीन-चार बैंकों को मिलाकर एक बड़ा बैंक बनाने के काम को अंजाम देगी। संभवत: यह काम अब अगले दो-तीन महीनों के भीतर होगा।


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