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IPO और बायबैक के बदलेंगे नियम: अजय त्यागी

आइपीओ के फ्रेमवर्क में बड़ा बदलाव करते हुए नियामक ने एसएमई आइपीओ के लिए एंकर निवेशक की न्यूनतम निवेश राशि दो करोड़ रुपये तय कर दी है

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 02:28 PM (IST)
IPO और बायबैक के बदलेंगे नियम: अजय त्यागी
IPO और बायबैक के बदलेंगे नियम: अजय त्यागी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को बोर्ड की बैठक में प्रारंभिक पब्लिक ऑफर (आइपीओ) समेत अधिग्रहण और शेयर बायबैक संबंधी नियमों में बदलाव को मंजूरी दे दी। इसके तहत राइट्स इश्यू के मामले में ड्राफ्ट लेटर की अनिवार्यता की सीमा 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

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बैठक में पब्लिक और राइट्स इश्यू के मामले में थर्ड-पार्टी असाइनमेंट्स के नियमों में भी बदलाव समेत शेयर बाजारों के प्रमुखों की कार्यअवधि भी तय कर दी गई है। आइपीओ के फ्रेमवर्क में बड़ा बदलाव करते हुए नियामक ने एसएमई आइपीओ के लिए एंकर निवेशक की न्यूनतम निवेश राशि दो करोड़ रुपये तय कर दी है।

स्टॉक मार्केट की तरह ही सेबी ने डिपोजिटरीज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन में भी घरेलू और विदेशी इकाइयों के लिए निवेश की अधिकतम सीमा 15 फीसद तय कर दी गई है। इसके साथ-साथ शेयर बाजारों और मार्केट इंटरमीडिएटरीज इंस्टीट्यूशंस के प्रमुखों का पांच वर्षो का अधिकतम दो कार्यकाल या अधिकतम 65 वर्ष तक सीमित कर दिया गया है। इसके अलावा सेबी ने नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन (एनसीएफई) को कंपनीज एक्ट के तहत एक कंपनी के तौर पर मान्यता देने का भी फैसला किया। नियामक ने कहा कि वह एनसीएफई में 30 फीसद हिस्सेदारी 30 करोड़ रुपये में खरीदेगा। सेबी के मुताबिक ये सभी बदलाव शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों और उनके निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए आने वाले दिनों में अहम साबित होंगे।

नियामक ने बताया कि इश्यू ऑफ कैपिटल एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (आइसीडीआर) के दिशानिर्देशों में बदलाव को बोर्ड की मंजूरी मिल गई है। एक बयान में सेबी ने कहा कि ओपन ऑफर के मामले में ऑफर प्राइस में संशोधन के लिए समय-सीमा टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू होने से एक कार्यदिवस पहले तक बढ़ाई गई है। नियामक का कहना था कि ये सुधार मुख्य रूप से नियमों की भाषा की वजह से होने वाली परेशानियां दूर करने, गैरजरूरी प्रावधान खत्म करने और नियमों को कंपनीज एक्ट, 2013 के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि बायबैक नियमों में बदलाव के तहत बायबैक अवधि की परिभाषा तय करने संबंधी प्रावधान भी शामिल रहेंगे।


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