कृषि मंत्री ने GDP में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ाने पर दिया जोर, उर्वरकों के संतुलित प्रयोग की बताई सख्त जरूरत
तोमर ने यह भी कहा कि पराली जलाने से मानव स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि खेत की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। उन्होंने देशभर से आए किसानों से पराली ना जलाने की अपील की।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कृषि क्षेत्र में उर्वरकों के संतुलित प्रयोग से जमीन की उर्वर क्षमता को बनाए रखने और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा बनाने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर देना होगा। तोमर मंगलवार को यहां उर्वरकों के उचित प्रयोग पर जागरूकता अभियान में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 50 फीसद से घटकर 14 फीसद पर आ गई है। यह अच्छी बात नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था में खेती की हिस्सेदारी फिर से 50 फीसद तक होनी चाहिए।
कृषि मंत्री तोमर के साथ अभियान की शुरुआत करने वालों में केंद्रीय उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा भी थे। तोमर ने कहा कि खरीफ सीजन की फसलें तैयार हैं और रबी की बोआई होनी है, जिसमें उर्वरकों का संतुलित व उचित प्रयोग होना जरूरी है। इसी के भरोसे फसलों की उत्पादकता और पैदावार बढ़ सकती है। खाद के संतुलित प्रयोग से ही जमीन की गुणवत्ता को बरकरार रखा जा सकता है और किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
2014 में केंद्र में पहली बार सत्ता संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की प्राथमिकता सूची में किसानों की खुशहाली सबसे ऊपर रही। उसके बाद से खेती को लाभ का कारोबार बनाने पर सरकार का पूरा जोर है। इसके साथ ही सरकार का ध्यान जमीन की सेहत को संरक्षित करने पर ज्यादा था, जिसके चलते देश के आठ करोड़ से अधिक किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड बांट दिया गया है। जीडीपी में कृषि क्षेत्र की 14 फीसद की हिस्सेदारी पर चिंता जताते हुए तोमर ने कहा यह नाकाफी है। इसे बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने किसानों से सवाल करते हुए कहा, ‘क्या हम इसे बढ़ाकर 50 फीसद कर सकते हैं?’ कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से खेतों की उर्वरा क्षमता बिगड़ेगी। तोमर ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर डेढ़ गुना करने और पीएम-किसान जैसी योजना में हर किसान को छह हजार रुपये सालाना वित्तीय मदद जैसे कदमों का भी जिक्र किया। इस मौके पर केंद्रीय उर्वरक व रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा कि इस समय मिट्टी की सेहत को जांचने और उसे संरक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने विभिन्न उर्वरकों पर दी जा रही सब्सिडी का जिक्र किया। उर्वरक सचिव छबिलेंद्र राउल ने कहा कि सरकार सब्सिडी का लाभ सीधे किसानों को देने पर विचार कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने प्लांट जीनोम सेवियर अवार्ड सेरेमनी के दौरान आयोजित प्रदर्शनी का भी मुआयना भी किया।
खेत की सेहत के लिए भी घातक है पराली जलाना
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पराली जलाने से केवल मानव स्वास्थ्य पर ही बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि खेत की सेहत के लिए भी यह घातक है। कृषि मंत्रलय के एक समारोह में देशभर से आए किसानों से उन्होंने पराली न जलाने की अपील की। तोमर ने कहा कि पराली के धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और लोगों को सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से बचने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं, जिनका लाभ उठाकर किसान फायदा कमा सकते हैं।
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में धान की पराली जलाने से इस मौसम में धुएं का बादल छा जाता है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। पर्यावरण मंत्रलय के साथ कृषि मंत्रलय ने व्यापक रूप से कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनसे किसान पराली जलाने से बच सकते हैं। खेतों की मिट्टी में केंचुआ समेत कई तरह के जीव रहते हैं, जो मिट्टी की उर्वर क्षमता और गुणवत्ता को लगातार बढ़ाते हैं। पराली जलाने के कारण बनी गरमी से ऐसे जीव मर मर जाते हैं।