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रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी की दिक्कतें बढ़ी, CBI के बाद ईडी ने भी दर्ज किया केस

विक्रम कोठारी ने जिन बैंकों से लोन लिया है उनमें बैंक ऑफ इंडिया, इलाहबाद बैंक और यूनियन बैंक शामिल हैं।

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 09:13 AM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 03:44 PM (IST)
रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी की दिक्कतें बढ़ी, CBI के बाद ईडी ने भी दर्ज किया केस
रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी की दिक्कतें बढ़ी, CBI के बाद ईडी ने भी दर्ज किया केस

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी की दिक्कतें बढ़ती नजर आ रही हैं। सीबीआई के बाद अब ईडी ने भी विक्रम कोठारी पर केस दर्ज किया है। 800 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट के आरोप में आज सीबआई ने रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी के घर छापेमारी की। लोन डिफॉल्ट के मामले में बैंक ऑफ बडौदा ने कंपनी के मालिक के खिलाफ सीबाआई में शिकायत दर्ज की थी। आपको बता दें कि सीबीआई ने इस मामले में सुबह कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें कोठारी के घर के साथ साथ ऑफिस भी शामिल हैं।

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न दिया मूलधन न चुकाया ब्याज

सूत्रों के मुताबिक विक्रम कोठारी ने जिन बैंकों से लोन लिया है उनमें बैंक ऑफ इंडिया, इलाहबाद बैंक और यूनियन बैंक शामिल हैं। कोठारी ने यह लोन 5 से ज्यादा सरकारी बैंकों से हासिल किया। बैंकों ने नियमों की अनदेखी कर कंपनी को यह कर्ज दिया है। कोठारी ने मुंबई के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपए और इलाहबाद बैंक ने 352 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। कथित रूप से एक साल बाद कोठारी ने न तो कर्ज पर लगे ब्याज का और भुगतान किया और न ही मूलधन चुकाया।

विक्रम कोठारी ने किया था अफवाहों का खंडन

इससे पहले लोन डिफॉल्ट के बाद विक्रम कोठारी के देश छोड़ जाने की खबरें सामने आ रही थी जिसका विक्रम कोठारी ने खंडन किया था। विक्रम कोठारी ने कहा था कि मैं कानपुर का निवासी हूं और मैं शहर में ही रहूंगा। हालांकि मुझे कारोबारी कामकामज से विदेशों में जाना पड़ता है। 

चल चुका है विल्फुल डिफॉल्टर का भी केस

बीते साल बैंक ऑफ बड़ौदा (जो लोन देने वाले बैंकों के कन्सोर्टियम का हिस्सा है) ने पेन निर्माता कंपनी रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर घोषित काय। इसके बाद कंपनी इसके खिलाफ इलाहबाद हाइकोर्ट में गई।

कंपनी की याचिका पर सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने यह फैसला सुनाया कि बैंक ने कंपनी का नाम गलत तरीके से विल्फुल डिफॉल्टर की लिस्ट में डाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि डिफॉल्ट के बाद कंपनी की ओर 300 करोड़ की संपत्तियों की पेशकश बैंक के लिए की गई। आपको बता दें कि 27 फरवरी 2017 के ऑर्डर में रोटोमैक को विलफुल डिफॉल्टर भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के बाद एक अधिकृत कमेटी के द्वारा किया गया था। 


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