Move to Jagran APP

कलेक्शन में दिखने लगा FASTag का फायदा, NHAI के कलेक्शन में यहां थी दिक्कत

FASTag के कारण 31 दिसंबर तक राष्ट्रीय राजमार्गो पर दैनिक टोल संग्रह 60 करोड़ रुपये से बढ़कर 90 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 03 Jan 2020 09:12 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 12:24 PM (IST)
कलेक्शन में दिखने लगा FASTag का फायदा, NHAI के कलेक्शन में यहां थी दिक्कत

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। राष्ट्रीय राजमार्गो (एनएच) स्थित टोल प्लाजा पर फास्टैग आधारित टोल कलेक्शन लागू होने से अगले वित्त वर्ष के दौरान एनएचएआइ के टोल संग्रह में 15 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की संभावना है। इससे अगले वर्ष सरकार पर एनएचएआइ की निर्भरता कम होगी और वह अपने बूते सड़क परियोजनाओं की रफ्तार बढ़ा सकेगी।

loksabha election banner

पिछले कुछ समय से एनएचएआइ की माली हालत को लेकर आशंकाएं प्रकट की जा रही थीं। जबकि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी लगातार इन आशंकाओं को खारिज करते रहे हैं। गडकरी को टोल संग्रह में बढ़ोतरी का अंदाजा था, क्योंकि उन्हें मालूम था कि फास्टैग लागू होते ही टोल प्लाजा पर कलेक्शन की अंडर-रिपोर्टिग पर लगाम लग जाएगी और एनएचएआइ के खाते में उसके हिस्से की पूरी रकम आने लगेगी।

सड़क मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार फास्टैग के कारण 31 दिसंबर तक राष्ट्रीय राजमार्गो पर दैनिक टोल संग्रह 60 करोड़ रुपये से बढ़कर 90 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इस तरह टोल संग्रह में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। यह बढ़ोतरी तब है जब अभी तक सिर्फ 1.15 करोड़ वाहनों में फास्टैग लगा है, राष्ट्रीय राजमार्गो पर चल रहे कुल वाहनों का 54 फीसद है।

फिलहाल रोजाना एक लाख वाहनों में फास्टैग लग रहे हैं। आने वाले दिनों में ये संख्या और बढ़ेगी तथा तीन महीनों में लगभग 90 फीसद वाहन फास्टैग युक्त हो जाएंगे। जबकि छह महीनों में शत-प्रतिशत वाहनों में फास्टैग लग जाने की आशा है। इससे एनएचएआइ का दैनिक टोल संग्रह बढ़कर 110 से 120 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की संभावना है।

इसका मतलब यह है कि जहां अभी तक जहां एनएचएआइ को टोल से सालाना केवल 21-22 हजार करोड़ रुपये प्राप्त होते थे। वहीं फास्टैग के अमल में आने के बाद उसे दूना या उससे भी अधिक टोल प्राप्त हो सकता है।जाहिर है कि इससे एनएचएआइ के साथ सड़क निर्माता कंपनियों तथा बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का भरोसा बढ़ेगा और वे सड़क परियोजनाओं में पूंजी लगाने को आगे आएंगी। इससे देश में सड़क निर्माण की पिछले कुछ समय से सुस्त पड़ी रफ्तार बढ़ेगी।

टोल संग्रह में बढ़ोतरी का दूसरा फायदा एनएचएआइ को तैयार सड़क परियोजनाओं के मौद्रीकरण और टीओटी ठेकों में भी मिलेगा। क्योंकि अधिक टोल संग्रह के लालच में कंपनियां बड़ी-बड़ी बोलियां लगाएंगी। इससे सरकार पर एनएचएआइ को बजटीय सहायता बढ़ाने का दबाव भी कम होगा।

फास्टैग से पहले इलेक्ट्रानिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली लागू होने के बावजूद पूरा टोल संग्रह नहीं हो रहा था। टोल प्लाजा पर कैश और कार्ड दोनो तरीकों से भुगतान होता था और कंप्यूटरों में टोल संग्रह का डाटा मानवीय श्रम से फीड किया जाता था। कांट्रैक्टर कंपनी के कर्मचारी कैश भुगतान करने वाले वाहन चालकों का डाटा कंप्यूटर में फीड ही नहीं करते थे और उन्हें हाथ से बनी रसीद थमा देते थे, या अनधिकृत कंप्यूटर पर बनी रसीद पकड़ा दी जाती थी।

इसके अलावा अनेक वाहन चालक रसूख और धौंस के बल पर टोल भुगतान से बच जाते थे। फास्टैग लागू होने से इस तरह के मामलों पर अंकुश लगने लगा है जिसका नतीजा बेहतर टोल संग्रह के रूप में सामने आ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.