धन जुटाने के अमेरिकी तरीके से भारत नाराज
भारत और अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में तल्खी बढ़ती जा रही है। अमेरिका द्वारा तरह-तरह के शुल्कों में बढ़ोतरी से भारत नाराज है। सरकार की कोशिश अब विश्व व्यापार संगठन [डब्ल्यूटीओ] के जरिए इससे निपटने की है। ताजा मामला 9/11 के आतंकवादी हमले से प्रभावित लोगों की मदद के लिए संसाधन जुटाने के तौर-तरीकों का है। भारत ने डब्ल्यूटीओ में इसे चुनौती देने का फैसला किया है।
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के कारोबारी रिश्तों में तल्खी बढ़ती जा रही है। अमेरिका द्वारा तरह-तरह के शुल्कों में बढ़ोतरी से भारत नाराज है। सरकार की कोशिश अब विश्व व्यापार संगठन [डब्ल्यूटीओ] के जरिए इससे निपटने की है। ताजा मामला 9/11 के आतंकवादी हमले से प्रभावित लोगों की मदद के लिए संसाधन जुटाने के तौर-तरीकों का है। भारत ने डब्ल्यूटीओ में इसे चुनौती देने का फैसला किया है।
पीड़ित लोगों की मदद के लिए अमेरिका ने विभिन्न देशों से आयातित वस्तु एवं सेवाओं पर दो फीसद शुल्क लगा दिया है। यूएस जेम्स जादरोगा 9/11 हेल्थ एंड कंपनशेसन एक्ट के कारण भारतीय सेवा कंपनियों की लागत बढ़ गई है। एक्ट के तहत अमेरिका की योजना 4.3 अरब डॉलर का कोष तैयार करना है। इस कोष से आतंकवादी हमलों के बाद ग्राउंड जीरो के पास मलबा साफ करते समय बीमार हुए लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक अमेरिका द्वारा इस तरीके से संसाधन जुटाना डब्ल्यूटीओ समझौते के प्रावधानों के खिलाफ है। एक अधिकारी ने बताया कि डब्ल्यूटीओ में अब इस मामले पर अमेरिका के साथ विचार-विमर्श होगा।
हाल के महीनों में भारत-अमेरिकी व्यापार संबंध बिगड़े हैं। कई ऐसे मसले हैं जिन्हें भारत ने डब्ल्यूटीओ में चुनौती दी है और कुछ को ले जाने की तैयारी में है। भारत द्वारा अमेरिकी पोल्ट्री उत्पादों पर पाबंदी के मामले को अमेरिका डब्ल्यूटीओ में ले गया। वहीं भारत स्टील और पाइप के आयात पर अमेरिका द्वारा डंपिंग रोधी शुल्क लगाए जाने को संगठन में ले गया। जबकि वीजा शुल्क में मनमानी वृद्धि को डब्ल्यूटीओ में ले जाने की पूरी तैयारी हो गई है।