बैंक कर्ज न लौटाने वाली 11 बिजली कंपनियां हो सकती हैं दिवालिया
कुल 11 दबावग्रस्त बिजली कंपनियों के मामले एनसीएलटी में भेजने का फैसला किया गया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। संकट में फंसी बिजली कंपनियों के एनपीए का कोई समाधान न निकल पाने के कारण बैंकों ने 11 कंपनियों के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दायर करने का फैसला किया है। इन कंपनियों में प्रयागराज पावर जेनरेशन, जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी और जयप्रकाश पावर वेंचर भी शामिल है।
एनसीएलटी में जिन कंपनियों के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया गया है, उनमें एसकेएस इस्पात पावर, मीनाक्षी एनर्जी, एथेना छत्तीसगढ़ पावर, झाबुआ पावर, केएसके महानंदी, कोस्टल एनर्जेन और जिंदल इंडिया थर्मल पावर भी शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने 12 फरवरी को सर्कुलर जारी करके बैंकों को निर्देश दिया था कि वे 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की ऐसी बिजली कंपनियों की पहचान करें जो कर्ज लौटाने में विफल रही हैं। ऐसी कंपनियों के खातों को 180 दिनों के भीतर दुरुस्त करें। यह समय सीमा 27 अगस्त को समाप्त हो चुकी हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के अधिकारी ने कहा कि कुल 11 दबावग्रस्त बिजली कंपनियों के मामले एनसीएलटी में भेजने का फैसला किया गया है। 180 की अवधि पूरी होने के बाद बैंकों को 15 दिनों में ऐसे मामले एनसीएलटी में भेजने होंगे।
एक अन्य बैंक अधिकारी ने बताया कि आरबीआइ ने सुझाव दिया है कि बैंकों को दबावग्रस्त बिजली कंपनियों के मामले तुरंत एनसीएलटी में भेजने चाहिए। 15 दिनों की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है। 27 अगस्त के बाद 70 बड़ी कंपनियों के मामले में एनसीएलटी में भेजे जाने की संभावना है। इनमें करीब 3.80 लाख करोड़ रुपये के कर्ज फंसे हैं। इनमें बिजली के अलावा टेलीकॉम और ईपीसी क्षेत्र की कंपनियां हैं। बिजली क्षेत्र की 34 कंपनियां है जिन पर 1.74 लाख करोड़ रुपये कर्ज बाकी है।