दमानी बने अनिल अंबानी से अमीर, जानिए रिटेल कंपनी के मालिक राधाकिशन से जुड़ी 10 बड़ी बातें
एक रिटेल कंपनी के मालिक राधाकिशन दमानी जुड़ी 10 बड़ी बातें
नई दिल्ली। 20 मार्च दिन सोमवार तक राधाकिशन दमानी सिर्फ एक रिटेल कंपनी के मालिक भर थे, लेकिन मंगलवार सुबह जब उनकी कंपनी का आईपीओ शेयर बाजार में लिस्ट हुआ वो अनिल अंबानी से भी अमीर हो गए। जानकारी के मुताबिक बीते 13 साल में किसी कंपनी के आईपीओ की इतनी शानदार लिस्टिंग नहीं हुई। दमानी की वेल्थ अनिल अग्रवाल, अनिल अंबानी, गोदरेज परिवार और राहुल बजाज से भी ज्यादा हो गई है। एवेन्यू के पहले दिन के प्रदर्शन को देखें तो वह देश के 17वें सबसे अमीर बिजनसमैन बन गए। गौरतलब है कि देश की सबसे प्रॉफिटेबल रिटेल चेन डीमार्ट पर एवेन्यू का मालिकाना हक है।
डीमार्ट का शेयर 100 फीसद प्रीमियम पर हुआ लिस्ट:
डीमार्ट का शेयर 604.40 रुपये पर लिस्ट हुआ, जबकि इश्यू प्राइस 299 रुपये रखा गया था। यह 102 फीसद का रिटर्न है। पिछले 13 साल में लिस्टिंग के दिन किसी शेयर की कीमत में इतनी बढ़ोतरी नहीं हुई थी। कंपनी का शेयर 117 फीसद चढ़कर इंट्राडे में 650 रुपये तक पहुंच गया। तब इसका मार्केट कैप 40,000 करोड़ रुपये हो गया था। हम अपनी खबर में आपको दमानी से जुड़ी अहम बातें बताने जा रहे हैं....
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सुर्खियों से दूर रहना:
राधाकिशन दमानी हमेशा सुर्खियों से दूर रहते हैं। वह हमेशा सफेद कपड़े पहनते हैं और शेयर बाजार के दिग्गज निवेशकों के बीच 'मिस्टर वाइट एंड वाइट' के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने 1999 में रिटेल बिजनस शुरू किया था, ये वो वक्त था जब अंबानी, कुमार मंगलम बिड़ला और फ्यूचर ग्रुप के किशोर बियानी के कदम इस सेक्टर में आए भी नहीं थे।
लंबी अवधि के निवेश पर नजर रखना:
वारेन बफेट की ही तरह दमानी भी एक वैल्यू इन्वेस्टर हैं जो लंबी अवधि के निवेश पर दूरदृष्टि रखते हैं। वो जब उद्यमी बने थे, तब भी उन्होंने अपना यह नजरिया बरकरार रखा और उन्होंने बिना किसी शार्टकट का इस्तेमाल किए डी-मार्ट का निर्माण किया।
छोटे से शुरुआत:
दमानी ने छोटे से शुरुआत की और विस्तार के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। छोटे स्तर के कारण ही उन्हें सप्लाई चेन पर नियंत्रण करने में आसानी रही और वो शुरुआत से ही मुनाफे में ध्यान केंद्रित कर पाए। अपने अस्तित्व के 15 वर्षों में डी-मार्ट ने प्रत्येक वर्ष लाभ कमाया है।
अपने लोगों को अहमियत देने की खूबी:
दमानी ने अपना बिजनेस अपना बाजार की फ्रेंचाइजी लेकर शुरु किया। उस वक्त से ही उन्होंने विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओं के साथ निजी संबंधों का निर्माण करना शुरू कर दिया था। उन्होंने दोनों को तवज्जो दी और उन्होंने इन दोनों को कभी भी हतोत्साहित नहीं होने दिया और उनके स्टोर्स में आउट ऑफ स्टॉक वाली स्थिति कभी नहीं आई।
सस्ता खरीदो, कम कीमत पर बेचो:
दमानी यह बात अच्छे से जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं। वो भारी छूट पर दैनिक उपयोग के उत्पाद उपभोक्ता को पेश करते हैं। उनके काम करने के तरीकों में से एक यह है कि वो आपूर्तिकर्ताओं और विक्रेताओं को भुगतान एक दिन के भीतर करने की कोशिश करते हैं, जबकि इंडस्ट्री के नॉर्म्स के मुताबिक यह अवधि करीब एक हफ्ते की है। शुरुआती भुगतान के कारण ये लोग इन्हें माल सस्ती दर पर उपलब्ध करवाते हैं।
स्थानीय होना:
हालांकि डी-मार्ट देश की सबसे सफल किराने की रिटेल श्रृंखला है, दमानी ने इसे पश्चिमी राज्यों तक ही सीमित रखा है। इसका एक कारण व्यापक आपूर्ति श्रृंखलाओं के बजाए स्थानीय आपूर्ति पर निर्भरता है।
धीमे चलो:
हालांकि डी-मार्ट ने अपना बिजनेस 16 साल पहले शुरू किया था फिर भी इसके कुछ राज्यों में सिर्फ 119 स्टोर ही हैं। यह अंबानी और बियानी के स्वामित्व वाली कंपनियों की तुलना में एक छोटी संख्या है। तेजी से विस्तार के बजाय, दमानी ने धीमी गति से चलने का रास्ता अपनाया, जिससे उन्हें लाभप्रदता के रास्ते पर अग्रसर होने दिया।
कोई तामझाम नहीं:
दमानी को अच्छे से पता है कि उनके उद्यम के पीछे का उद्देश्य कम कीमतों पर उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति करना है और वो तामाझाम में अपना समय बरबाद किए बगैर ऐसा ही करते हैं। उनके स्टोर्स में सीमित श्रेणी के उत्पाद बस करीने से सजे होते हैं।
भीड़ का पीछा नहीं करना:
दमानी ने यह बात अच्छे से सीखी और परखी है कि एक निवेशक के तौर पर कभी भी झुंड का पीछा नहीं करना चाहिए। एक उद्यमी के तौर पर भी उनका यही नजरिया है।
क्रेडिट से बचें:
खुदरा व्यापार में क्रेडिट और देरी से भुगतान जोखिम भरा है, क्योंकि वो बुरी तरह से आपकी आपूर्ति और लागत को प्रभावित कर सकते हैं। दमानी क्रेडिट से दूरी रखते हैं और कोशिश करते हैं कि वो अपने आपूर्तिकर्ताओं की अपेक्षा मुताबिक जल्द से जल्द भुगतान कर दें।