बैंकों की तरफ से परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कर्जों के मामले में राजस्थान सबसे आगे, क्या है बाकी राज्यों का हाल
States ranking on cost of projects sanctioned by banks बैंकों की तरफ से परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कर्जों के मामले में राजस्थान सबसे आगे है। परियोजनाओं के लिए स्वीकृति कर्जों के मामले में बाकी राज्यों का क्या हाल है जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
मुंबई, एजेंसी। वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की तरफ से परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कर्जों में सर्वाधिक हिस्सा राजस्थान का रहा है। यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है, जब राजस्थान के लिए सर्वाधिक मात्रा में परियोजना ऋण स्वीकृत किए गए। आरबीआइ की तरफ से प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, 'परियोजनाओं के लिए स्वीकृति राशि के मामले में राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का स्थान रहा है।'
'निजी कारपोरेट निवेश
वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि और वित्त वर्ष 2022-23 का परिदृश्य' शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया है कि कुल स्वीकृत परियोजना लागत के 56.4 प्रतिशत हिस्से पर इन पांच राज्यों का एकाधिकार है। यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष है जब इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 से लेकर 2019-20 के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु की परियोजनाओं के लिए बैंकों द्वारा स्वीकृत कर्जों में कुल हिस्सेदारी औसतन 40.7 प्रतिशत रही थी।
चरणबद्ध निवेश की मंशा को बनाया आधार
आरबीआइ के इस लेख में निजी कंपनियों की तरफ से परियोजनाओं के लिए जताई गई चरणबद्ध निवेश की मंशा को आधार बनाया गया है। इसके आधार पर पिछले वित्त वर्ष में निवेश वृद्धि के साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि संभावना भी जताई गई है।
निवेश वाली परियोजनाओं की घोषणा में बढ़ोतरी
लेख के मुताबिक, 'महामारी काल में लगे झटके के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में नए निवेश वाली परियोजनाओं की घोषणा में काफी बढ़ोतरी देखी गई। वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में यह 90 प्रतिशत अधिक रहा लेकिन यह अब भी महामारी-पूर्व की तुलना में कम है।' केंद्रीय बैंक ने यह साफ किया है कि इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं।
पूंजीगत व्यय के मामले में ढांचागत क्षेत्र का पलड़ा भारी
लेख के मुताबिक, परियोजनाओं के पूंजीगत व्यय के मामले में ढांचागत क्षेत्र का पलड़ा भारी रहा, जिसमें बिजली और सड़क एवं पुलों के निर्माण का दबदबा रहा। सरकार की तरफ से उठाए गए कई नीतिगत कदमों से नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2021-22 में निजी कंपनियों की कुल पूंजीगत व्यय योजना एक साल पहले की तुलना में 13.5 प्रतिशत बढ़ गई। इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा वाह्य वाणिज्यिक कर्ज के जरिये जुटाया गया। इस मार्ग से जुटाई जाने वाली राशि वर्ष 2021-22 में एक साल पहले की तुलना में 73.4 प्रतिशत बढ़कर 64,178 करोड़ रुपये हो गई।
विशाल परियोजनाओं का हिस्सा पिछले दो वित्त वर्षों में घटा
वर्ष 2021-22 में निजी कंपनियों की तरफ से कुल 1,93,722 करोड़ रुपये का पूंजीगत निवेश किए जाने का अनुमान है। बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की तरफ से इन परियोजनाओं के लिए वित्त की स्वीकृति दी जा चुकी थी। कुल परियोजना लागत में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली विशाल परियोजनाओं का हिस्सा पिछले दो वित्त वर्षों में घटा है। वहीं 1,000-5,000 करोड़ रुपये वाली बड़ी परियोजनाओं की हिस्सेदारी बीते वित्त वर्ष में 47 प्रतिशत रही।