देश का कौन सा टॉप बैंक दे रहा है FD पर ज्यादा ब्याज, यहां जानिए
देश के तमाम बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोगों को अलग अलग ब्याज दर मुहैया कराते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रिटर्न के लिहाज से लोग सेविंग बैंक अकाउंट की तुलना में फिक्स्ड डिपॉजिट को एक बेहतर निवेश विकल्प मानते हैं। जहां एक ओर बैंक के सेविंग अकाउंट में 3.5 से 6 (अधिकतम) फीसद का ब्याज मिलता है वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट में आप 7 फीसद तक का ब्याज हासिल कर सकते हैं। हम अपनी इस खबर में आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आप किस बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर सबसे ज्यादा ब्याज हासिल कर सकते हैं।
खुद तय करें कौन का बैंक देता है एफडी पर कितना ब्याज
(नोट: ये आंकड़े पॉलिसी बाजार डॉट कॉम से लिए गए हैं।)
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि हर बैंक में एफडी की दर अलग अलग होती है इसलिए हम बैंक-दर बैंक के हिसाब से आपको बैंक की अलग अलग अवधि के हिसाब से एफडी दर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। जानिए कौन कौन से बैंक एफडी पर कितनी ब्याज दर मुहैया करवा रहे हैं....
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई): सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक माना जाने वाला एसबीआई अलग अलग अवधि के लिए दी जाने वाली एफडी पर अलग अलग ब्याज दर मुहैया करवाता है।
(नोट: ये आंकड़े पैसा बाजार डॉट कॉम से लिए गए हैं।)
आईसीआईसीआई बैंक: प्राइवेट सेक्टर के दिग्गज बैंकों में शुमार आईसीआईसीआई बैंक भी अपने ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर अगल अलग अवधि के हिसाब से ब्याज दर मुहैया कराता है। आप अपनी सहूलियत के हिसाब से इसका चुनाव कर सकते हैं।
एचडीएफसी बैंक: प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में एचडीएफसी का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। इस बैंक की देश भर में तमाम शाखाएं हैं और यह भी अलग-अलग अवधि के हिसाब से फिक्स्ड डिपॉजिट पर अलग-अलग ब्याज दरें मुहैया कराता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के फायदे:
- जब कोई व्यक्ति किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट करवाना है तो यह निवेश पूरी तरह से जोखिम रहित होता है। यह निवेश किसी भी तरह से लिंक नहीं होता। फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि पूरी होने के बाद निवेशक को पूरी राशि ब्याज के साथ वापस मिल जाती है।
- ब्याज दर सीनियर सिटीजन के लिए कुछ अधिक होती है। साथ ही बैंक भी समय-समय पर इसकी समीक्षा करके बाजार के अनुरूप फिक्स्ड डिपॉजिट की दर को तय करते हैं। तमाम बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट की दर में मामूली अंतर होता है। कई बार बैंक ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से ग्राहकों को फिक्स्ड डिपॉजिट पर ऊंची दर की पेशकश करते हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट करवाने के नुकसान:
- बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्याज प्राय: महंगाई की दर के बराबर ही होता है और कई बार इस दर से कम भी रह जाता है। 2012-2014 के दौरान भारत की औसत महंगाई दर 9.76 फीसदी रही है। एक्सपर्ट निवेश विकल्प पर रिटर्न जोड़ते समय उपभोक्ता महंगाई की औसत दर 8 फीसदी के बराबर मानते हैं।
- ऐसे में बैंक एफडी पर अगर निवेशक को 8 – 8.5 फीसदी के आसपास का ही ब्याज मिलता है तो निवेशक बमुश्किल महंगाई दर को पछाड़ पाता है। ऐसे में निवेशक को निवेश पर मिलने वाला रिटर्न शून्य हो जाता है।
- बैंक एफडी पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल होता है। आमतौर पर लंबे समय के लिए किया जाने वाला निवेश करमुक्त होता है। लेकिन बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्याज मौजूदा स्लैब में ही करयोग्य होता है। ऐसे में मिलने वाला शुद्ध रिटर्न और घट जाता है।
- इस तरह महंगाई की दर से कम रिटर्न और मिलने वाले रिटर्न पर भी टैक्स लगने की वजह से शुद्ध कमाई का घट जाना ये दो ऐसे कारण हैं जो बैंक एफडी जैसे जोखिमरहित निवेश को बेहतर नहीं बनाते।