भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है योग
बगहा। योग देश का प्राचीन धरोहर है। इस का पालन करते हुए प्राचीन काल के लोग बिना दवा के ही स्वस्थ रहते
बगहा। योग देश का प्राचीन धरोहर है। इस का पालन करते हुए प्राचीन काल के लोग बिना दवा के ही स्वस्थ रहते रहे हैं। यह भारतीय संस्कृति और सभ्यता की पहचान भी है। समय बदलने के साथ अब योग का महत्व विश्व के लोग भी समझने लगे हैं। स्वस्थ रहने के लिए आज के आधुनिक युग में योग रामबाण है। बीमारियों से बचने की यह प्राकृतिक विधि है। नगर में आज कल लगातार योग करने वालों की संख्या बढ़ी है। पतंजलि संस्था द्वारा समय समय पर योग शिविर लगाते हुए लोगो को योग के बारे में जानकारी देने और योग का प्रशिक्षण देने का काम किया जा रहा है। नगर के एमएवाई पब्लिक स्कूल के प्राचार्य चंद्रदेव प्रकाश ने बताया कि मैं अपने पिता योगाचार्य स्वामी पदमेश से बचपन में ही सीखा था। आज भी मेरे स्कूल में नियमित प्रार्थना के उपरांत आधा घंटा योग का अभ्यास कराया जाता है। योग के नियमित अभ्यास जहां व्यक्ति को निरोग रखता है। वहीं उसके अंदर रचनात्मक उर्जा के के साथ सकारात्मक सोच पैदा करता है। योग से मानव जीवन को बहुत लाभ है। अब तो इसका शिविर लगाते हुए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। डा. एके. तिवारी ने कहा कि योग के नियमित अभ्यास व्यक्ति को निरोग करता है। विश्व ने योग के अंदर इस अदभुत विज्ञान को समझने के साथ अपनाया है। शरीर में मेटापोलिजम को संतुलित करता है। हार्मोन के असंतुलन को को दूर करता है। आज के आधुनिक युग जीवन शैली में होने वाले रोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एसीडीटी, किडनी, लीवर समेत अन्य अंगों से जुड़े रोग को संतुलित करता है। योग सभी अंग को संतुलित करते है। योग के नियमित अभ्यास से बिना दवा, चिकित्सक के ही मानव स्वस्थ रहता है।