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सड़क जीर्णोद्धार के लिए वर्षों की फरियाद, नहीं पूरी हुई मन की मुराद

बेतिया। बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही जनप्रतिनिधियों की ओर से दावे और वादों की बौछार की

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:11 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 12:11 AM (IST)
सड़क जीर्णोद्धार के लिए वर्षों की फरियाद, नहीं पूरी हुई मन की मुराद
सड़क जीर्णोद्धार के लिए वर्षों की फरियाद, नहीं पूरी हुई मन की मुराद

बेतिया। बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही जनप्रतिनिधियों की ओर से दावे और वादों की बौछार की जा रही है। लेकिन लौरिया प्रखंड के साठी के एक हिस्से के दर्जनों गांव की जान पिछले दो दशक से खतरे में है। इस इलाके में किसी भी जनप्रतिनिधियों की नजर नहीं है। लौरिया प्रखंड अंतर्गत साठी थाना के साठी -परसा के नाम से प्रसिद्ध सड़क लगभग चार पंचायतों को जोड़ती है। जिसकी हालत काफी दयनीय है। प्रतिदिन राहगीर दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं। यहां तक कि इस रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों की जान खतरे में रहती है। बावजूद इसक सड़क के जीर्णोद्धार को लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि आगे नहीं आया। किसी जनप्रतिनिधि के पास इस जर्जर एवं क्षतिग्रस्त सड़क के जीर्णोद्धार की योजना नहीं है। बात दें कि इस सड़क के लिए कई बार लोगों ने आंदोलन किया है। जिसमें लगभग तीन दर्जन से अधिक लोगों पर नामजद एवं दो सौ अज्ञात पर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। सभी प्राथमिकी अभियुक्त प्रतिदिन कोर्ट कचहरी का चक्कर भी लगाते रहते हैं। लेकिन इन सबके बाद भी सरकार या राजनेता जर्जर सड़क की सुधि नहीं ले पाते है। जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों के बीच इस चुनाव में सड़क एक मुद्दा बना हुआ है। ग्रामीण भूषण मिश्र, नौशाद आलम, गुलाब जाकिर, शिवेंद्र उर्फ राजू झा, राजदेव यादव, मोहम्मद शाह, रौनक, साजिद आदि बताते हैं कि रात हो या दिन इस सड़क से गुजरने वाले अक्सर राहगीर दुर्घटना का शिकार होते हैं। लेकिन इसकी चिता किसी को नहीं। लोकतंत्र में जनता को मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष करने का अधिकार है। जर्जर सड़क के जीर्णोद्धार के लिए आंदोलन किया तो जनप्रतिनिधियों के इशारे में थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई। पहले गुहार किए थे। जब आवाज नहीं सुनी जा रही थी तो आंदोलन किया था। सड़क भी नहीं बनी और दर्जनों लोग केस लड़ रहे हैं।

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इनसेट

स्वाधीनता सेनानी द्वार की जर्जर हालत

साठी परसा के नाम से अंग्रेज के जमाने में ये सड़क बनी। ये सड़क साठी कोठी से निकलकर परसा कोठी को जाती थी। वहीं देश की आजादी में अपनी जान की कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानी शेख गुलाब का घर भी है। स्वतंत्रता सेनानी के नाम से सड़क में बने शेख गुलाब द्वार अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यहां बता दें कि लगभग दो दर्जन से अधिक गांवों को अनुमंडल ,जिला मुख्यालय एवं प्रखंड से ये सड़क जोड़ती है। चांद बरवा, मुसहरी, धोबनी, धर्मपुर, परसौना, राम परसौना आदि गांवों के लोगों ने वोट मांगने के लिए आने वाले नेताओं से सवाल पूछने का मन बनाया है।


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