चंपारण का लाल कुछ इस तरह कर रहा कमाल, जानकर आप भी कहेंगे- भई वाह!
पश्चिमी चंपारण के सुनील कुमार ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही हॉस्टल के कमरे में ही आइआइटी की तैयारी कर रहे गरीब छात्रों को पढ़ाना शुरू किया जिसके बाद अबतक कई छात्रों को सफलता मिली है।
पश्चिमी चंपारण [अनिल तिवारी]। चंपारण के लाल सुनील कुमार ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिससे क्षेत्र के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। उनके शिक्षण कौशल की बदौलत तीन वर्षों में 100 से ज्यादा छात्र ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट में सफल हुए हैं।
इन छात्रों का प्रवेश आइआइटी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और अन्य उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में भौतिकी के स्नातकोत्तर (पीजी) व रिसर्च (शोध) पाठ्यक्रमों में हुआ है। उन्होंने छात्रों को निशुल्क पढ़ाकर इस मुकाम पर पहुंचाया है।
तुरहापट्टी गांव निवासी व्यवसायी मंकेश्वर प्रसाद गुप्ता और लक्ष्मी देवी के पुत्र सुनील शुरू से ही मेधावी रहे हैं। एमजेके कॉलेज, बेतिया से विज्ञान से स्नातक (बीएससी) करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय चले गए। 2012 में सुनील ने एमएससी की।
वहां प्रो. भारतेंदु सिंह के निर्देशन में भौतिकी में शोध शुरू किया। 2015 में बीएचयू में वार्डन से अनुमति लेकर सुनील ने उच्च शिक्षा की तैयारी करने वाले गरीब छात्रों को अपने छात्रावास के कमरे में ही पढ़ाने की शुरुआत की। जमीन पर ही क्लास चलने लगी। एक-दो से शुरू निशुल्क कोचिंग में कुछ ही दिनों में 32 छात्र हो गए।
2016 में आइआइटी ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट में ये छात्र सफल हुए। इनमें से कई का चयन दिल्ली और मुंबई आइआइटी जैसे नामी संस्थानों में एमएससी सहित साइंस पीजी के अन्य कोर्स में हुआ। एक साथ इतने छात्रों की सफलता से बीएचयू के भौतिकी विभाग के तत्कालीन डिप्टी हेड प्रोफेसर आरपी मलिक काफी प्रभावित हुए।
उन्होंने सुनील को कोचिंग चलाने के लिए अपने डिपार्टमेंट में जगह दे दी। दूसरे बैच में 36 छात्र 2017 की परीक्षा में सफल हुए। आठ छात्रों की रैंङ्क्षकग 100 के भीतर थी। तीसरे वर्ष 2018 में भी उनके पढ़ाए 32 से ज्यादा छात्र विज्ञान परास्नातक और शोध की परीक्षा में सफल हुए।
सुनील जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया व इजरायल समेत दुनिया के कई देशों के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दे चुके हैं। भारत के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में आधुनिक विज्ञान पर शोध प्रस्तुत कर चुके हैं। 2017 में उत्कृष्ठ शोध के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने उन्हें सीनियर रिसर्च फेलो का सम्मान दिया।
सुनील बीएचयू में भी सम्मानित हो चुके हैं। हाल ही में सुनील पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में इजरायल के विजमान इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के लिए चयनित हुए हैं।
सुनील कहते हैं कि शिक्षा के बाजारीकरण को देखकर उन्होंने ऐसे छात्र तैयार करने की ठानी जो आगे चलकर इस अंधी दौड़ से अलग हों और विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दें। वहीं एमजेके कॉलेज, बेतिया के प्रो. पीके चक्रवर्ती कहते हैं कि सुनील शुरू से ही मेधावी और मेहनती छात्र रहे हैं। निर्धन छात्रों को निशुल्क शिक्षा देना बड़ी बात है। उनसे लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए।