जंगल सफारी के लिए वीटीआर तैयार, आज से जुटेंगे सैलानी
बगहा। मानसून सीजन में जंगल सफारी पर रोक लगा हुआ था। 15 नंबर से जंगल सफारी पर से रोक हट गया। अब सैलानी वीटीआर में जंगल सफारी कर सकेंगे।
बगहा। मानसून सीजन में जंगल सफारी पर रोक लगा हुआ था। 15 नंबर से जंगल सफारी पर से रोक हट गया। अब सैलानी वीटीआर में जंगल सफारी कर सकेंगे। इसको लेकर वीटीआर प्रशासन की ओर तैयारी कर ली गई है। वाल्मीकिनगर समेत वीटीआर के अन्य रेंज सैलानियों को बेहतर सेवा देने की व्यवस्था की गई है। वाल्मीकि नगर में अवस्थित होटल वाल्मीकि विहार सज धज कर तैयार है। होटल में आवासन एवं भोजन की बेहतर की व्यवस्था की गई है। डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि वीटीआर प्रशासन इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रगति की ओर बढ़ रहा है। पर्यटकों के बेहतर आवासन व भोजन की व्यवस्था की गई है। आवासन के सस्ता दर में होटल व इको हट उपलब्ध हैं। इस वर्ष इनके किराया में रिआयत की गई है। वीटीआर प्रशासन को उम्मीद है कि किराया कम होने से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। साइकिल से भी करेंगे सफारी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के ईको टूरिज्म में आने वाले टूरिस्ट अब साइकिल से जंगल सफारी कर वन और वन्य जीवों का आंनद ले सकेंगे। वन प्रमंडल दो के वाल्मीकिनगर इको टूरिज्म सेंटर में पहले चरण में टूरिस्ट के लिए दस साइकिल खरीदने की मंजूरी मिल गई है। एक साथ दस टूरिस्ट (पर्यटक)समूह के साथ जंगल सफारी कर सकेंगे। साइकिल से टूरिस्ट वन भ्रमण शुरू हो जाएगा।
वन प्रमंडल दो के डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि वीटीआर प्रशासन की ओर से साधारण टूरिस्ट के सुविधा के लिए साइकिल के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार के वन मंत्रालय को भेजा गया था। इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलते ही दस साइकिल खरीदने की कवायद आरंभ की गई है।यह साइकिल वाल्मीकिनगर वनक्षेत्र के जंगल कैंप में रहेगा। यहां आने वाले टूरिस्ट निर्धारित शुल्क जमा कर साइकिल के साथ वन भ्रमण कर वन्यजीवों का आंनद ले सकेंगे। अभी गजराज की नहीं होगी सवारी वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में आनेवाले देसी-विदेशी पर्यटक अभी हाथियों संग जंगल सफारी का आनंद नहीं उठा सकेंगे। कर्नाटक से चार हाथी बालाजी, राजा, मनी कंठा और द्रोणा यहां लाए गए हैं। अभी हाथियों का प्रशिक्षण पूरा नहीं हुआ है। इस लिए हाल के दिनों में ये हाथी पर्यटकों को सफारी के लिए नहीं उपलब्ध कराए जाएंगे। लेकिन वीटीआर प्रशासन कर्नाटक के इन हाथियों को शीघ्र यहां की भाषा समझाने की दिशा लगातार प्रयासरत है। अभी इन हाथियों को गश्ती में लगाया गया है।