फूस की झोपड़ी मेंनदी थाना, हाजत न मालखाना
ये है पुलिस जिले का नदी थाना। नदी थाना की पुलिस आज भी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। पांच वर्ष बीतने के बाद भी इस थाने को अपना भवन नहीं है। एक झोपड़ी में सारी व्यवस्था संचालित होती है।
बगहा । ये है पुलिस जिले का नदी थाना। नदी थाना की पुलिस आज भी झोपड़ी में रहने को मजबूर है। पांच वर्ष बीतने के बाद भी इस थाने को अपना भवन नहीं है। एक झोपड़ी में सारी व्यवस्था संचालित होती है। जिसके कारण पुलिस कर्मियों को बरसात के दिनों में बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है । 2014 में इस थाने की स्थापना अपराध नियंत्रण के लिए किया गया। आनन-फानन में थाने की स्थापना कर दी गई। पुलिस जवान और थानेदार की भी पदस्थापना हो गई। लेकिन, आज तक धरातल पर भवन का निर्माण नहीं कराया गया। पुलिसकर्मियों के रहने के लिए कोई आवास भी नहीं है। झोपड़ी में थाने के महत्वपूर्ण अभिलेख रखे जाते हैं। 5 साल पूर्व भवन की स्थिति जो थी आज भी वही है। दियारा के नैनहा रेता में यह थाना स्थापित है। धनहा- रतवल मुख्य मार्ग से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर यह थाना अवस्थित है। पुलिस को यहां पहुंचने के लिए निजी साधन के अतिरिक्त कोई अन्य चारा नहीं है। पुलिसकर्मी अवकाश में घर चले जाते हैं और घर से वापस आने के बाद मुख्य सड़क से 4 किलोमीटर की दूरी तय कर थाने पहुंचते हैं। थाना पहुंचने के बाद झोपड़ी में रहना इनकी मजबूरी है। बरसात के दिनों में झोपड़ी में पानी टपकता है। शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था नहीं कराई गई है। बाइक व चारपहिया वाहन समेत करीब 90 वाहनों को पुलिस ने शराब कांड में जब्त किया है। रखरखाव की स्थिति ठीक नही रहने के कारण वाहन खुले आसमान के नीचे सड़ रहे हैं। जब पुलिस के रहने की व्यवस्था नही है तो वाहन की खाक व्यवस्था रहेगी । जबकि थाने का क्षेत्र गंडक किनारे के गांव वाल्मीकि नगर से लेकर श्रीनगर तक काफी लंबा है। लेकिन, किसी जनप्रतिनिधि ने इसकी सुध नहीं ली है। समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ है। थाना क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा की गारंटी देने वाले खुद असुरक्षित हैं।