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जननायक ट्रेन में लिट्टी और चटनी के साथ कर्पूरी के सपनों पर सियासत

जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है शहर के बस अड्डा और रेलवे स्टेशन में सियासत का रंग तीखा होता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 12:05 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 12:05 AM (IST)
जननायक ट्रेन में लिट्टी और चटनी के साथ कर्पूरी के सपनों पर सियासत

बगहा । जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, शहर के बस अड्डा और रेलवे स्टेशन में सियासत का रंग तीखा होता जा रहा है। चौक- चौराहे पर पल-पल में किसी की सरकार बन रही है तो कभी किसी और की। चुनावी चर्चा स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्रियों से लेकर सफर करने वालों में जबर्दस्त ढंग से हो रही है। वक्त मिलते ही सियासत पर

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खुली चर्चा शुरू हो जाती है। कौन सांसद बन रहा ? सरकार किसकी बन रही? किसकी जमानत जब्त होगी? हरेक मुद्दे पर खुलकर चर्चा होती है। जनता का मूड जानने के लिए हमने यूपी के सिसवा बाजार से बगहा तक मजदूरों की ट्रेन जननायक एक्सप्रेस की सफर की। -----------------

रात के 12 बजे हैं । यूपी के सिसवा बाजार रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की अच्छी खासी भीड़ है । पूछताछ काउंटर से पता चला कि 15212 जननायक एक्सप्रेस के लिए अभी 30 मिनट का इंतजार करना पड़ेगा। प्लेटफार्म पर जगह-जगह यात्रियों की जमघट है। इनमें कोई व्यापारी है तो कोई दैनिक यात्री। कहीं चर्चा व्यापार की हो रही है तो कहीं उम्मीदवार की। दो प्रांतों का सीमावर्ती इलाका है। इसलिए बिहार और यूपी के राजनीतिक मिश्रण पर बहस चल रही है। योगी और नीतीश भी चर्चा के केंद्र में हैं। इसी बीच ट्रेन आने की उद्घोषणा होने लगती है । सभी यात्री अपना बैग और झोला- बोरा लेकर तैयार हो जाते हैं। इस बीच, रिटायर्ड होने की दहलीज पर खड़े एक सरकारी कर्मचारी सभी को धकियाते हुए आगे बढ़ते हैं।'यार अब बंद करो चर्चा, नहीं तो सीट भी नहीं मिलेगी। ये मजदूरों की ट्रेन है। प्लेटफार्म पर खड़े यात्री तेज कदमों से आगे की ओर बढ़ने लगे। ये जद्दोजहद डिब्बे में एक सीट हासिल करने की थी। ट्रेन रुकी और लगभग सभी डिब्बों में समाने वाले यात्री धक्कामुक्की के बीच एक डिब्बे में ही समा गए। दो मिनट के स्टॉपेज के बाद ट्रेन ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ ली। अब शुरू हुई बाल बच्चे और बीबी के साथ ट्रेन के फर्श पर बेसुध पसरे अमृतसर ,लुधियाना आदि से कमा कर लौट रहे मजदूरों को जगाने की जद्दोजहद।'क्या मजाक है भाई जालंधर से आ रहे हैं बीबी है ,बच्चे हैं और आप इस तरह से धकिया रहे हैं।'दरभंगा के मनोहर की इस बात ने मानो ट्रेन के डिब्बे में फर्श पर लेटे

तमाम लोगों के दर्द को आवाज दे दी। एक तो ट्रेन में बैठे-बैठे थक गए हैं दूसरा इन लोकल पैसेंजरों की दबंगई परेशान कर रही है। सात घंटे विलंब से चल रही इस ट्रेन में पैर रखने भर की जगह मुश्किल से मिली। एक सीट पर आड़े तिरछे दस - दस लोग बैठे हुए थे। इन्हीं में किसी तरह से मैंने भी जगह बना ली। पहले से खचाखच भरी बोगी में दर्जन भर से अधिक यात्रियों के चढ़ जाने के कारण किसी तरह से जगह बना कर सो रहे यात्री भी जग चुके थे। इसी बीच दो वर्ष का एक बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। बगल में सो रही उसकी मां सुमित्रा उठी और पास में खड़े यात्री पर बिफर गयी। अरे तहार आंख आन्हर बांटे का, लइका के किचार देहल। दोनों में बहस होने लगी। अगल- बगल के यात्रियों ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया। अब फटकार सुनने की बारी सुमित्रा के पति रामेश्वर की थी। पति पर गुस्सा कर सुमित्रा ने कहा, बड़ी वोट देने की चिता थी लो अब भोगो। मैं कह रही थी कि ट्रेन में भीड़ होगी, छोटे-छोटे बच्चे हैं। चुनाव बीत जाने दो तब घर चलेंगे, तो नहीं वोट देना है। सुमित्रा बोले जा रही थी और रामेश्वर चुपचाप सुन रहा था। सुमित्रा ने कहा, इन नेताओं से किसी गरीब का भला होने वाला नही है। सभी मलाई अमीरों के लिए है। गरीब तो सिर्फ वोट देते हैं। नेताओं को मन भर कोसने के बाद सुमित्रा बच्चे को गोद में लेकर एक बार फिर से फर्श पर पसर गई और खर्राटे लेने लगी। गरमा - गरम दस रुपये में भर पेट खा लो ट्रेन बिहार बॉर्डर के समीप पहुंच गई थी। यूपी के पनियहवा रेलवे स्टेशन और ट्रेन खड़ी थी । बोगी में लिट्टी और चटनी बेचने वालों की भीड़ बढ़ी। आधी रात के बाद 10 रुपये में भरपेट लिट्टी-चटनी बिकने लगी। सोए हुए यात्री भी जाग गए और लिट्टी- चटनी पर लूट मच गयी। 30 फीसद सवारियों ने लिट्टी -चटनी खरीदी और खाने लगे।

जमीन पर अपने सामान की बोरी पर बैठे व्यापारी प्रह्लाद प्रसाद ने लिट्टी -चटनी खरीदने को लेकर हो रही मारामारी को देखकर कहा, कोई भी सरकार आए, कितनी भी व्यवस्था बदल जाए, लेकिन जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे हालात ऐसे ही रहेंगे। मजदूरों की हालत पर तरस खाते हुए बगहा के व्यापारी राजेश ने कहा इस ट्रेन में रोज मजदूर नशाखुरानी के शिकार होते हैं। महीनों पंजाब में कड़ी मेहनत करने के बाद पैसे कमाकर घर वापस लौटते हैं और इसी तरह लिट्टी चटनी और तंबाकू के लालच में नशे के शिकार हो जाते हैं। कमाई लूट जाती है। लेकिन, इनकी आदत नहीं सुधरती । अब आदत सुधारने के लिए तो प्रधान मंत्री और सांसद आएंगे नहीं। इन्हें खुद को ही बदलना होगा।

अभी जितना बदलाव दिखा उतना पहले कभी नहीं था। राजेश के सुर में सुर मिलाते हुए मोतिहारी निवासी रविद्र बोल पड़े, पहले हमारे सैनिक सीमा पर मरते थे और अब घर में घुसकर मारते हैं। समर्थन

मिलता देख राजेश जोश से भर गए और बोले, नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम हुआ, कालेधन पर लगाम लगी है। इस बीच ,छात्र प्रिस ने ब्रेक लगाया और कहा, आप व्यापारी लगते हैं। जीएसटी की वजह से महंगाई बढ़ गई है, यह नहीं दिखता है? ना सड़कें बनीं और न ही कोई विकास हुआ। युवाओं को रोजगार नहीं मिला, पकौड़ा तलवा रहे हैं, चौकीदार बना रहे हैं । इससे गुजारा होने वाला है क्या? अचानक बेतिया की एक महिला यात्री चर्चा में शामिल हो गईं। बोलीं पकौड़ा तलना खराब होता है क्या, चौकीदार बनने में क्या खराबी है ? रोजी- रोटी के लिए पंजाब जाते हैं। खेतों में काम करते हैं। परिवार जनों से दूर रहते हैं। अपने घर में रहकर पकौड़ा तलकर अच्छे से गुजारा नहीं कर सकते? इस सरकार ने महिलाओं को सम्मान दिया, गांव-गांव में शौचालय बनवाए, उज्जवला के जरिए लाखों घरों में गरीबों तक सिलिडर पहुंचाए, घर-घर में बिजली पहुंचाई, गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना चलाई , फिर भी आपकी नजर में विकास नही देख रहा है। पूरी दुनिया मान रही भारत का लोहा

दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे मेहसी निवासी अंकित भी गरम होती चर्चा के बीच अपनी बात रखने लगे, अब पूरी दुनिया भारत का लोहा मानने लगी है। एयर स्ट्राइक पर दुनिया ने भारत का समर्थन किया है। हमारी विदेश नीति पहले से कहीं बेहतर हुई है। ट्रेन की सीट को लेकर शुरू हुई चर्चा अपने तर्को से सियासत को आईना दिखा रही थी। ट्रेन मंजिल की ओर बढ़ रही थी । इसी बीच ऊपर की सीट पर बैठे सौरभ बोले, भैया दो बजने वाला है। बगहा आ गया क्या? बोगी में चाय बेच रहा चंदू बोला , हां औसानी हाल्ट पहुंचने वाले हैं। ठीक 2:10 बजे ट्रेन बगहा स्टेशन

पर पहुंची। प्लेटफार्म पर सवारियां तेजी से आगे बढ़ रही थीं। फिर उसी एक सीट के लिए आपाधापी शुरू हो गयी और हम ट्रेन से उतर गए।


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