मुहर्रम जुलूस में लहराया तिरंगा, लगे या अली या हुसैन के नारे
बगहा। सोमवार रात्रि में मुहर्रम का गंवारा को लेकर नगर में ताजिया का जुलूस निकाला गया। इस दौरान नगर के मस्तानटोला ईदगाह मोहल्ला डफाली टोला रतनमाला आदि से जुलूस नगर के डीएम एकेडमी चौक पर पहुंचा।
बगहा। सोमवार रात्रि में मुहर्रम का गंवारा को लेकर नगर में ताजिया का जुलूस निकाला गया। इस दौरान नगर के मस्तानटोला, ईदगाह मोहल्ला, डफाली टोला, रतनमाला आदि से जुलूस नगर के डीएम एकेडमी चौक पर पहुंचा। जुलूस के साथ जुलूस में शामिल खिलाड़ियों ने अपने करतब को दिखाया। आग का गोला के साथ करतब दिखाया। या हसन या हुसैन के नारों से पूरा नगर गुंज उठा। जुलूस को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए एसपी राजीव रंजन, एएसपी, धर्मेंद्र कुमार झा, एसडीपीओ संजीव कुमार आदि सहित सभी थानाध्यक्ष और कर्मी जुलूस के साथ साथ रहे। मंगलवार को मुहर्रम का भव्य जुलूस नगर में निकला। नगर के ईदगाह मोहल्ला, पंवरिया टोला, रहमान नगर, रजवटिया, रतनमाला, रजवटिया, बाणीपट्टी, गोडिया पट्टी, अंसारी टोला, डफाली टोला, शास्त्रीनगर, मिर्जा टोला, चखनी, भथौडा, गांधीनगर, मस्तान टोला, तिवारी टोला आदि से ताजिया के साथ जुलूस निकाला। सभी थाना द्वारा निर्धारित रूट से ताजिया निकलते हुए करबला पहुंचा। या हसन या हुसैन के नारों से पूरा नगर गुंजता रहा। करबला में पहुंच कर मेला में जुलूस तब्दील हो गया। यहां खिलाडियों ने कई परंपरागत करतब दिखाया। इस दौरान पुलिस और दंडाधिकारियों के साथ साथ नगर सभापति जरीना खातून के प्रतिनिधि अधिवक्ता फिरोज आलम अपने वार्ड पार्षद और अन्य गणमान्य लोगों के साथ शांति के लिए तैनात दिखे।
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कहते है मुहर्रम के बारे में जानकार :-
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना है। इसके 10 वीं तारीख का महत्व बहुत अधिक है। शिया समुदाय के लोग करबला के मैदान में 1400 साल पहले नवास -ए- रसूल इमाम हुसैन की शहादत को जुल्म दास्तान याद करते है। इस दिन इस समुदाय के लोग मातम मनाते हुए अपने शरीर को भी जख्मी कर देते हैं। सुन्नी समुदाय के लोग इस दिन को मातम का महीना नहीं कहते है।
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कहते हैं जानकार :-
धर्म की रक्षा के लिए इमाम हुसैन जो रसूल के नवासे ने करबला के मैदान में यजीद की फौज से लड़ते हुए अपनी जान को कुर्बान कर दिया था। यह इस्लाम का पहला और पवित्र महीना है। इस महीने में 9 और 10 तारीख को रोजा रखना चाहिए। इसका बहुत महत्व है।
मौलाना मो. मोईनुद्दीन नक्सबंदी इस्लाम धर्म का यह पहला महीना है। इस माह को बड़ा पवित्र माना जाता है। इस दिन को यौमे असूरा कहते हैं। इसी दिन अल्लाह ने पैगंबर मुसा को फिरौन की फैज से बचाया था। इस दिन अपने परिवार को अच्छा भोजन आदि खिलाना चाहिए। इस दिन ताजिया निकालना, डीजे, ढोल, तासा बजाना मना है।
मौलाना मो. ग्यासुद्दीन कासमी इस्लाम धर्म का यह पहला महीना है। इस महीने के दसवीं तारीख को यौमे असूरा कहा जाता है। इसी दिन हमारे पैगंबर मोहम्मद के नवासे धर्म और हक के लिए यजीद की फौज से लड़ते हुए शहीद हुए थे। ऐसे में कुछ लोग इसे गम के दिन के रूप में मनाया करते है। इस्लाम में ताजिया निकालना ढ़ोल तासा आदि बजाना मना है। रोजा रखने की बात कही गई है।
मौलाना मो. अलाउद्दीन अल्लाह ने इसी दिन पैगंबर मुसा और उनकी उम्मत को अल्लाह ने फिरौन सहित पूरी फौज को नील नदी में डूबाते हुए उनको बचाया था। इसके साथ ही पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन ने सत्य और धर्म के लिए यजीद की फौज से लड़ते हुए अपनी शहादत दिया था। ऐसे में यह महीना बहुत ही पवित्र है। इसमें रोजा का अलग ही महत्व है।
मौलाना, वसीम अख्तर खां