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हिदी कराती अपनत्व का एहसास, दुनिया में भारत की यही खास पहचान

बेतिया। भाषा किसी देश की समृद्धि और उसकी संस्कृति की पहचान होती है। भाषा पूरे देश को एक

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 12:54 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 05:06 AM (IST)
हिदी कराती अपनत्व का एहसास, दुनिया में भारत की यही खास पहचान

बेतिया। भाषा किसी देश की समृद्धि और उसकी संस्कृति की पहचान होती है। भाषा पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का काम करती है। भारतीय परि²श्य की बात करें तो हिदी एक ऐसी भाषा है जो भारत को एक सूत्र में बांधती है। भारतीय अस्मिता के गौरव की अनुभूति कराती है। आधुनिकता के दौर में देश के लोग अंग्रेजी भाषा के निकट हो रहे हैं। लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं कि हिदी का महत्व घट गया है। अंग्रेजी का बोलबाला है फिर भी हिदी बोलने, पढ़ने और समझने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर तमाम साहित्यकार और स्वतंत्रता सेनानियों तक ने भी हिदी की वकालत की और भारत में हिदी को गौरव दिलाने का प्रयास किया। आज हिदी न्यू•ा चैनलों के सामने अंग्रेजी चैनलों की टीआरपी कहीं नहीं टिकती। हिदी समाचार पत्रों की संख्या अंग्रेजी समाचार पत्रों की संख्या से कई गुना अधिक है। हिदी धीरे- धीरे गौरव की तरफ बढ़ रही है। लेकिन सिर्फ हिदी बोलने या पढ़ने से नहीं बल्कि हिदी के प्रति सकारात्मक सोच रखना आज आवश्यक है, क्योंकि बिना मानसिकता के बदले हिदी को उचित स्थान दिलाना संभव नहीं।

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हिदी प्रेम की भाषा है। हिदी हृदय के मर्म को स्पर्श करने वाली भाषा है। दुनिया की कई भाषाएं हिदी में आई और हिदी ने उनको समाहित कर लिया। एक अधिकारी के रूप में हिदी में काम करना बहुत आनंददायी है।

विनोद कुमार विमल

डीईओ, पश्चिमी चंपारण

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हिदी हमारी मातृभाषा है और हमें इसपर गर्व है। अपनी संवेदनाओं को व्यक्त करने का सबसे बेहतर माध्यम है। यदि मेडिकल और इंजीनियरिग की किताबें हिदी में हो तो फिर अंग्रेजी की वैल्यू अपने आप कम हो जाएगी। आज हिदी बोलना अंग्रेजी बोलने से कहीं ज्यादा अच्छा लगता है।

डॉ. प्रमोद तिवारी

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कई वर्ष विदेशों में काम किया। देश के कई राज्यों में गया लेकिन हिदी जैसी भाषा कहीं नहीं। जितना लगाव हिदी के प्रति है उतना दुनिया के किसी भाषा के प्रति नहीं हो सकता।

रंजन कुमार सिंह

पूर्व कंप्यूटर इंजीनियर पार्लियामेंट, कुवैत

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जितने विकसित देश हैं उनके अध्ययन करने पर पता चलता है कि उन्होंने अपने देश की भाषा से कोई समझौता नहीं किया। जापान और चीन इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ऐसा भारत में ही देखने को मिलता है कि यहां की भाषा हिदी है लेकिन लोगों की मानसिकता अंग्रेजी। हिदी हमारे स्वाभिमान से जुड़ी भाषा है, इसका सम्मान करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।

गौरी राय, संस्कृत छात्रा

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आज हिदी का महत्व बढ़ रहा है। तमाम कंपनियां अपने कर्मचारियों को हिदी सीखने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसका कारण है कि लोगों का स्वाभिमान धीरे-धीरे जागृत हो रहा है। लोग हिदी के प्रति समर्पित हो रहे हैं। आज हिदी का सम्मान अति आवश्यक है।

पंडित चतुर्भुज मिश्र

पुस्तकालयाध्यक्ष, महाराजा पुस्तकालय

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हिदी हमारे लिए सभी भाषाओं से ऊपर है। आज लोग अंग्रेजी को महत्व इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि लोगों के मन में अंग्रेजियत की भावना है। जब तक अपना स्वाभिमान जागृत नहीं होगा तब तक अपनी भाषा के प्रति सम्मान का भाव कहां से आएगा। हिदी हमारी अस्मिता का प्रतीक है।

दिवाकर राय, साहित्यकार

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हर भाषा अपने में सम्मानित है। लेकिन हिदी, भारतीय संस्कृति का गौरव है। यहां हमारी मातृ भाषा है इसलिए हमें इस पर गर्व होना चाहिए।

प्रीति प्रकाश, साहित्यकार

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हिदी में तमाम विषय के पुस्तकों का लिखा जाना आवश्यक है। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन करने की भी आवश्यकता है। कई लोग मजबूरी वश अंग्रेजी पढ़ रहे हैं। यदि इन क्षेत्रों में प्रयास किया जाए तो हिदी के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ेगा।

सुशांत कुमार शर्मा साहित्यकार

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हिदी का महत्व कहीं कम नहीं हुआ है।बल्कि बढ़ा ही है। आज बाजार में तमाम उत्पाद अपना प्रचार हिदी में कर रहे हैं। हर सप्ताह चैनल टीआरपी रिपोर्ट पेश करते हैं, उसमें सबसे अधिक टीआरपी हिदी चैनलों की ही होती है। बस आवश्यकता है अपनी भाषा पर गर्व करने की।

डॉ परमेश्वर भक्त

पूर्व हिदी विभागाध्यक्ष, एमजेके कॉलेज

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हिदी साहित्य की भाषा तो है ही, रोजगार की भाषा बन जाए तो अपने आप इसका गौरव वापस आ जाएगा। सिर्फ एक दिन हिदी दिवस मनाने के लिए नहीं है। हिदी के प्रति हमारे मन में हमेशा सम्मान बना रहे, यह प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य है।

शालिनी रंजन, साहित्यकार


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