रमहत और बंदगी का महीना है पवित्र रमजान
तेज धूप व भीषण गर्मी के बावजूद रोजेदारों का उत्साह चरम पर है। अल्लाह की बंदगी के अलावा उन्हें कुछ और नहीं सूझ रहा।
बगहा। तेज धूप व भीषण गर्मी के बावजूद रोजेदारों का उत्साह चरम पर है। अल्लाह की बंदगी के अलावा उन्हें कुछ और नहीं सूझ रहा। रोजेदारों का कहना है कि पवित्र रमजान का महीना बंदगी और नेमतों का है। इस महीने में एक रात रहमतों वाली आती है। इस रात को शब्बे कदर कहते हैं। इस रात में अगर बंदे अल्लाह की इबादत दिल से करें तो कई वर्ष का सवाब अल्लाह उन्हें फरमाते हैं। इसके साथ ही इस माह में एतकाफ का बहुत ही महत्व है। एतकाफ करने वाला इंसान एकांत कमरे में बैठ कर अल्लाह की इबादत करता है। वह अल्लाह से न सिर्फ खुद की, बल्कि अपने कौम की सलामती की दुआ करता है। एतकाफ करने वालों के साथ पूरी बस्ती के लोगों का गुनाह माफ होता है। इस काम को जिम्मेवार लोग ही करते हैं। रोजा को तीन आशरा में बांटा गया है। पहला रहमत का है। इसमें अल्लाह की रहमत अपने नेक बंदों पर बरसती है। ये 10 दिन तक रहता है। दूसरा मगफेरत का है। इसमें सभी को अल्लाह अंगे गुनाहों से मगफिरत देता है। आखिरी 10 दिन आग से निजात का होता है। इसमें अपने-अपने वालदैन सहित सभी लोगों के लिए दोजख की आग से निजात के लिए दुआ मांगी जाती है।
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तरावीह का अलग है मुकाम :-
नगर के वार्ड 27 निवासी दीन के जानकार मास्टर मो. ईशा कहते हैं कि रोजा के साथ पांच वक्त की नमाज और तरावीह पढ़ना चाहिए। एक रोजा किसी ने भी छोड़ा तो उसके बदले अगर लगातार दो माह तक भी रोजा रखेगा तब भी उसे सवाब नहीं मिलेगा। नगर सहित सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। रत्नमाला, पंवरिया टोला, डुमवलिया, मलकौली, नरवल-बरवल, कोल्हुआ, भैरोगंज, आदि सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ाई जा रही है।
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अल्लाह की बंदगी में खो गए हैं नन्हे रोजेदार :-
बड़ों के साथ-साथ मासूम भी अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। नगर के रत्नमाला निवासी मोहम्मद कुरैशी की पुत्री 10 वर्षीया नसरीन खातून सभी रोजा रखती आ रही है। गर्मी को देख मां, भाई व बहन मना करते हैं। बावजूद वह कहती है कि आप लोग सब नेकी कमाना चाहते हैं। मैं भी अल्लाह को राजी करके अपने पूर्वजों के लिए जन्नत मांगूंगी।
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रत्नमाला निवासी मुन्ना अंसारी का 10 वर्षीय पुत्र रेयाज अंसारी लगातार रोजा रख रहा है। रोजा रखने के साथ स्कूल भी जाता है। कहता है कि घर के सभी लोग रोजा रखते हैं। उनके साथ सेहरी खाने, नमाज पढ़ने के बाद एक साथ इफ्तार करना अच्छा लगता है।
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मलपुरवा निवासी स्व. नथुनी मियां का 12 वर्षीय पुत्र नौशाद आलम अब तक के सभी रोजे पूरी पाबंदी के साथ करता आ रहा है। वह बताता है कि अल्लाह को रोजा बहुत पसंद है। रोजा में सब गुनाह अल्लाह माफ करता है। एक नेकी की जगह 70 नेकी देता है। मैं सभी रोजा रखूंगा।
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मलपुरवा निवासी स्व. नथुनी मियां के 12 वर्षीय पुत्र मेराज आलम सभी रोजा रखते हैं। रोजा के साथ नमाज भी पांच वक्त की पढ़ता है। कहता है कि अल्लाह को रो•ा के साथ नमाज बहुत पसंद है। रोजा में ही कुरान धरती पर आया था। अल्लाह एक नेकी पर 70 नेकी देता है।
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