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कोरोना संकट में मरीजों के घर दवा पहुंचा जोड़ा नाता

बेतिया। एक कहावत है जो संकट में काम आए वही सबसे बड़ा हितेषी। तीन लालटेन चौक के दवा व्यव

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:48 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 12:48 AM (IST)
कोरोना संकट में मरीजों के घर दवा पहुंचा जोड़ा नाता
कोरोना संकट में मरीजों के घर दवा पहुंचा जोड़ा नाता

बेतिया। एक कहावत है जो संकट में काम आए वही सबसे बड़ा हितेषी। तीन लालटेन चौक के दवा व्यवसायी लॉकडाउन के दौरान संकट के समय मरीजों को दवा की किल्लत नहीं होने देने का भरोसा दिया, उनतक जरूरी दवाइयां पहुंचवाई, मरीजों का भरोसा जीता, इसका असर अनलॉक में दिख रहा है। संकट के दौर में काम आने के कारण आज उनकी दुकान पर ग्राहकों की खासी भीड़ दिख रही है। गायत्री मेडिकल के मालिक लक्ष्मण मोटानी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी दुकानें खुली रही। लेकिन लोगों की आवाजाही कम थी। लोगों में घबराहट थी की दवाइयां मिलेगी या नहीं। इस घबराहट के कारण लोग जरूरी दवाइयों का संग्रह करने लगे जिससे दुकान की बिक्री अचानक बढ़ गई। लेकिन 10 दिनों के बाद स्थिति बदल गई। मांग के अनुरूप दवाइयां नहीं मिलने से स्टॉक खाली होने लगा। हालांकि सरकार तुरंत एक्शन में आई। दवाइयों की डिलीवरी की जाने लगी। जिससे स्टॉक तो भर गया लेकिन ग्राहकों की संख्या अचानक कम हो गई। कारण जरूरी दवाइयां लोग अपने घर पर स्टॉक कर लिए थे। ऐसे में ग्राहकों की फ्लो बरकरार रखना एक चुनौती थी। तब नियमित ग्राहकों से टेलीफोन से संपर्क बनाया, उनका भरोसा जीता। जिसका असर दिख रहा है। आज दुकान पर फिर एक बार ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई है।

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मरीजों तक दवा पहुंचाने की व्यवस्था की

लक्ष्मण मोटानी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे। प्रशासनिक बंदिसे भी इसमें आड़े आ रही थी। लेकिन जरूरत की दवाई की मांग को टाला नहीं जा सकता था। ऐसे में लोगों के आग्रह पर उन तक जरूरी दवाइयां पहुंचाने की व्यवस्था की। मरीजों को भरोसा दिलाया कि निश्चित रहें, दवाइयों की किल्लत नहीं होने दी जाएगी। कई जरूरतमंदो को मुफ्त मास्क दिया। लोगों तक दवा पहुंचने लगी, तो उनके मन में बैठा अनिश्चिता का भाव दूर हो गया। एक नए संबंध की शुरुआत हुई। जिसका सार्थक असर व्यवसाय पर दिख रहा है।

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कोट --

लॉकडाउन के दौरान दवाइयों को लेकर लोगों के मन में अनिश्चिता थी। इस दौरान मानवता के आधार पर मरीजों के पास जरूरी दवाइयां पहुंचा कर उनका विश्वास जीता। जो भी संपर्क किया उससे दवा की किल्लत नहीं होने दी। कई लोगों को निशुल्क मास्क भी दिया। एक बार भावनात्मक जुड़ाव हो जाने के बाद इसका असर आज व्यवसाय पर दिख रहा है। दुकान पर पहले की अपेक्षा ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। बिक्री बढ़ गई है।

लक्ष्मण मोटानी, गायत्री मेडिकल हॉल, बेतिया।


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