बंद रहे मंदिरों के कपाट, ग्रहणकाल समाप्ति के बाद लोगों ने किया स्नान व दान
बगहा। साल का अंतिम सूर्यग्रहण गुरुवार को लगा। पहले से ही लोगों में उत्सुकता थी कि सूर्य ग्रहण का नजारा देखेंगे।
बगहा। साल का अंतिम सूर्यग्रहण गुरुवार को लगा। पहले से ही लोगों में उत्सुकता थी कि सूर्य ग्रहण का नजारा देखेंगे। बच्चों में भी काफी उत्सुकता थी कि आखिर ग्रहण के दौरान दिन में कैसा दृश्य हो जाता है। रातें बेसब्री से कट गईं। परंतु गुरुवार की सुबह का नजारा ही कुछ और हो गया। शीतलहर बुधवार की तुलना में गुरुवार को काफी अधिक रही। अनुमान लग ही गया कि सूर्यग्रहण देखने की मंसूबा शायद पूरी नहीं हो सके। हालांकि बच्चों में उत्सुकता थी कि उन्हें सूर्यग्रहण का नजारा अवश्य देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा। परंतु धुंध व बादल नहीं छंट सके। दिन के 11:27 बजे के बाद लोगों ने मान लिया कि अब ग्रहण काल समाप्त हो चुका है। फिर नदी व नहर में तथा घरों पर स्नान व दान का कार्यक्रम चला। इस बाबत पंडित लालजी तिवारी ने बताया कि पुराण के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के बाद स्नान कर दान देना पुण्य फलदायी होता है। ग्रहण के समय खान- पान वर्जित माना गया है।बावजूद छोटे बच्चों व रोगियों के ऊपर कोई प्रतिबंध नही रहता है। वहीं दान किया हुआ अन्न को दान करने का प्रावधान है। हालांकि विज्ञान की मानें तो ग्रहण प्राकृतिक घटना है। जब सूर्य व धरती के बीच चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं तो सूर्य ग्रहण लगता है। वहीं जब सूर्य व चंद्रमा के बीच एक सीध में धरती के आ जाने पर चंद्रग्रहण लगता है। मंदिरों के कपाट बंद रहे ग्रहण के दौरान विभिन्न मंदिरों के कपाट बंद रहे। मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान लोग बिना स्नान व दान किये मंदिरों में नहीं जाते हैं।इसलिए कपाट बंद रखे जाते हैं।इस दौरान माना जाता है कि भगवान सूर्य आपत्ति में हैं। सो उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।