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वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए एसएसबी व पुलिस जवान मुस्तैद

वाल्मीकिनगर। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया एवं वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सौजन्य से वाल्मीकिनगर स्थित वन विभाग के सभागार में एसएसबी एवं स्थानीय पुलिस को वन अपराध पर अंकुश लगाने जंगल में तस्करी एवं वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु जानकारी देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:33 AM (IST)
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए एसएसबी व पुलिस जवान मुस्तैद
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए एसएसबी व पुलिस जवान मुस्तैद

वाल्मीकिनगर। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया एवं वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के सौजन्य से वाल्मीकिनगर स्थित वन विभाग के सभागार में एसएसबी एवं स्थानीय पुलिस को वन अपराध पर अंकुश लगाने , जंगल में तस्करी एवं वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु जानकारी देने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। वीटीआर प्रमंडल दो के डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य सभी वन्य-प्राणी,पशु -पक्षियों और पौधों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करना है। वन्य जीव अपराधों की रोकथाम में सुरक्षा बलों की भूमिका अहम है। कार्यशाला में एसएसबी एवं पुलिस बल और अन्य वन्य जीव से जुड़े लोगों को वन्यजीव व्यापार के परिमाण के प्रति संवेदनशील बनाने पर चर्चा की गई। इस अवसर पर डीएफओ गौरव ओझा ने बताया कि इसका उद्देश्य एक दूसरी सुरक्षा एजेंसी में सहयोग की आवश्यकता पर बल देना है। बताते चलें कि भारत-नेपाल की सीमा खुली होने की वजह से, वन्यजीव उत्पादों की अवैध तस्करी को बढ़ावा मिलता है। भारत-नेपाल सीमा के घने जंगलों में वन्य जीवों विभिन्न प्रजातियां निवास करती है। सशस्त्र सीमा बल की तैनाती के बाद, जंगली जीवन और वन जीव अपराध की तस्करी को नियंत्रित किया गया है और काफी संख्या में अपराधियों और तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। जिससे वन संसाधन और वन्य जीवन काफी संरक्षित हुई है। सशस्त्र सीमा बल ने अपने कार्य क्षेत्र में कई दुर्लभ प्रजातियों को तस्करी से बचाया है और अनेक वन्य जीव तस्करों को गिरफ्तार भी किया है। जिसमें वन्यजीव अपराध को रोकने और अपराध की गुंजाइश और कार्यप्रणाली को रोकने के लिए जागरूकता फैला, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और वन अधिनियम के तहत शक्तियां, सीमावर्ती सुरक्षाकर्मियों को बढ़ाना आदि शामिल है। टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के कमलेश मौर्य ने कहा कि यहां के जंगल पहले से ही शिकारियों के निशाने पर रहे हैं, लेकिन यदि पुलिस एवं एसएसबी थोड़ी सतर्कता के साथ काम करें और वन विभाग का सहयोग करें तो शिकारियों पर नकेल कसी जा सकती है। बताते चलें कि देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं वाइल्ड लाइफ क्राइम का गढ़ बन चुकी हैं। दुनिया में प्रतिवर्ष 20 विलियन डॉलर का वन्य जीवों का अवैध धंधा हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षित कर क्राइम को रोकने की कवायद •ारी है। सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों एवं पुलिस को प्रशिक्षित कर वाइल्ड लाइफ क्राइम को नियंत्रित करने की मुहिम •ारी है। कार्यशाला में वन अपराधियों को पकड़ने व उनका केस तैयार करने के गुर सिखाए गए। इसके साथ ही वन कर्मियों को वन अधिनियम कानून की बारीकियों से भी अवगत कराया गया। कार्यशाला में तकनीकी जानकारी दी और यह बताया कि कैसे वन अपराधियों को पहचानते हैं तथा उनको कैसे पकड़े कि वे किसी कानून का लाभ लेकर बच न सकें। मौके पर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सारिक सफी, टैफिक इण्डिया के सर्प विशेषज्ञ अभिषेक, रेंजर महेश प्रसाद,राकेश कुमार, एसएसबी के निरीक्षक विनीत मान, सुमित कुमार, शत्रुघ्न यादव, उमेश कुमार, रंजन कुमार आदि मौजूद थे।

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