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वीटीआर में सैलानियों के लिए खास इंतजाम

बगहा। जैव विविधता के लिए विख्यात वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना सर्दी के इस मौसम में एक बार फिर प्राकृतिक छटा बिखेरने के लिए तैयार है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 09:16 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 09:16 PM (IST)
वीटीआर में सैलानियों के लिए खास इंतजाम

बगहा। जैव विविधता के लिए विख्यात वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना सर्दी के इस मौसम में एक बार फिर प्राकृतिक छटा बिखेरने के लिए तैयार है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए बाकी चीजों के अलावा सबसे खास सौगात यहां की कला संस्कृति प्रत्येक दिन शाम में सैलानियों को दिखाई देगी। मनोरंजन के लिए स्थानीय थारु - आदिवासी कलाकार नृत्य व संगीत प्रस्तुत करते हैं। दिन भर का थकान इनके पारंपरिक गीत व नृत्य से दूर हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक से आए गजराज पर सवारी करने का अवसर भी जल्द ही मिलने लगेगा। कर्नाटक से लाए गए चारों गजराजों को खास प्रशिक्षण दिया जा रहा है। घनघोर जंगल में बने इको हट में रात बिताने और विविध प्रजाति के पक्षियों का कलरव सुनने का रोमांचकारी अनुभव प्राप्त हो सकता है।

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वाल्मीकिनगर में वीटीआर की आत्मा अगर आप पटना से वीटीआर में आना चाहते हैं तो आपके लिए सड़क मार्ग ही एक मात्र रास्ता है। पटना से सीधे बेतिया, बगहा और वाल्मीकिनगर के लिए बसें खुलतीं है। रात में अगर पटना में बस पर बैठेंगे तो सुबह में वाल्मीकिनगर में पहुंच जाएंगे। यूं तो वीटीआर करीब 990 वर्ग किमी में फैला है , लेकिन इसकी आत्मा वाल्मीकिनगर में बसती है। सर्वाधिक रोमांच का अवसर आपको वाल्मीकिनगर में ही मिलेगा। वन विभाग की ओर से भी पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधा वाल्मीकिनगर में ही दी गई है। वैसे तो मंगुराहां, गोब‌र्द्धना गनौली आदि वन क्षेत्रों में भी पर्यटकों के आवासन एवं सफारी की सुविधा है।

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ऑनलाइन होती है वीटीआर की बु¨कग डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू डाट वाल्मीकि टाईगर रिजर्व डॉट कॉम पर लॉगइन करते हैं तो आपको वीटीआर की वेबसाइट दिख जाएगी। यहां आने के लिए आपको सारी प्रक्रिया ऑनलाइन ही पूरी करनी है। बस ऑनलाइन बु¨कग कराते ही आपको वीटीआर में आवासन की सुविधा मिल जाएगी। यहां आने के बाद जंगल सफारी के लिए अतिरिक्त बु¨कग होगी, जो मैनुअली होती है।

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इन वन्य जीव जंतुओं के होंगे दीदार वीटीआर में आपको बाघ, तेंदुआ, गैंडा, मगरमच्छ, हाथी, भालू, लंगूर, जंगली सुअर, ब्लैक कैट , हिरन, मोर आदि प्रजाति के जानवर एवं पक्षी देखने को मिल सकते हैं। खास बात यह है कि बाघ आपको जंगल सफारी के दौरान किसी भी रास्ते पर दिखाई पड़ सकते हैं। संभव है कि आप जंगली सफारी करने के लिए गए और बाघ नहीं भी दिख सकता है। गंडक नदी के तट पर मगरमच्छ की अटखेलियां सुबह में धूप निकलने के साथ ही दिखने लगेगी।

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यह है वीटीआर में रुकने की व्यवस्था वीटीआर में रात गुजारने के लिए आपको कई तरह की सुविधाएं हैं। रिसॉट भी है। होटल में एसी और नन एसी कमरे हैं। इसके अलावा इको हट और टूरिस्ट हट भी है। किराया भी बहुत सस्ता है। जंगल सफारी के लिए 1500 रुपये में दो घंटे तक वन विभाग की गाड़ी से भ्रमण कराया जाता है। निजी वाहनों के प्रवेश पर पूरी पाबंदी है । यानी जंगल सफारी के लिए अब केवल आपको वीटीआर से मिलने वाली जिप्सी ही मिल सकेंगे, जिनके जरिए आप जंगल का आनंद लेंगे।

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इनसेट बयान :

पर्यटकों के लिए अब मनोरंजन की व्यवस्था भी आरंभ कर दी गई है। प्रतिदिन शाम में स्थानीय थारु - आदिवासी कलाकार गीत व नृत्य प्रस्तुत करते हैं। वीटीआर की इस नई व्यवस्था को पर्यटक काफी सराह रहे है।

-- हेमकांत राय, फिल्ड निदेशक, वीटीआर


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