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बरसात में भंग हो जाता नरकटियागंज व लौरिया का सड़क संपर्क

ऐतिहासिक नंदनगढ़ अशोक स्तंभ और अन्य पुरातात्विक टीलों से भरे पड़े लौरिया को अनुमंडल मुख्यालय से जुड़ने में हर वर्ष बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:23 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:23 PM (IST)
बरसात में भंग हो जाता नरकटियागंज व लौरिया का सड़क संपर्क
बरसात में भंग हो जाता नरकटियागंज व लौरिया का सड़क संपर्क

बेतिया। ऐतिहासिक नंदनगढ़, अशोक स्तंभ और अन्य पुरातात्विक टीलों से भरे पड़े लौरिया को अनुमंडल मुख्यालय से जुड़ने में हर वर्ष बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ती है। लौरिया -नरकटियागंज मुख्य मार्ग कई दिनों तक ठप रहता है। इस मार्ग से कई पंचायतों को प्रखंड मुख्यालय से जुड़ने में बाधा होती है। इस मुख्य पथ में अशोक स्तंभ के पास सिकरहना नदी के दबाव से डायवर्सन तबाह होता रहा है। लोगों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों से यह हालात क्षेत्र के लोगों को देखने पड़ रहे हैं। बाढ़ में वहां डायवर्सन पर नाव चलाने की नौबत आती है। मामूली दोपहिया वाहन बाइक को चार चार आदमी कंधे पर उठाकर पार कराते रहे हैं। 2018 में उस जगह पुल निर्माण का कार्य आरंभ हुआ। लेकिन उस पुल के कार्य को पुरातत्व विभाग ने रोक लगा दिया है, जबकि पुल का आधा से अधिक कार्य हो चुका है। बावजूद इसके इस वर्ष भी उसी परेशानी का सामना लोगों को करना पड़़ रहा । लोगों का कहना है कि किसी जनप्रतिनिधि ने अधर में लटके पुल निर्माण की दिशा में भी कोई पहल नहीं की ताकि अगले वर्ष से लोग बरसात में इस मार्ग से निर्विघ्न आवागमन कर सकें। लौरिया निवासी अशोक श्रीवास्तव और सुरेश कुशवाहा का कहना है कि सिकरहना नदी के दबाव के कारण क़ई सप्ताह तक प्रखंड मुख्यालय का अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क में हो जाता है । प्रखंड के आठ पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क सम्पर्क कट जाता है । अधिवक्ता जयप्रकाश प्रसाद ने बताया कि निर्माण कार्य आरंभ करने के पहले पुल निर्माण निगम ने अशोक स्तंभ के आसपास निर्माण कार्य के मामले में पुरातत्व विभाग से कोई जानकारी हासिल नहीं की। यहीं नहीं अशोक स्तंभ परिसर में भी ऐसा कोई बोर्ड लगा होता तो शायद सरकार का करोड़ों रुपया बर्बाद नहीं होता और यह पुल निषिद्ध क्षेत्र से अलग बनकर तैयार हो गया होता । बता दें कि प्रखंड मुख्यालय से अनुमंडल मुख्यालय जाने वाले मुख्य सड़क में अशोक स्तंभ के ठीक बगल में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा सात करोड़ की लागत से पुल बनवाया जा रहा है । इस पुल का निर्माण आरंभ होने के लिए निर्माण एजेंसी आज भी इंतजार कर रही है । 2018 में कार्य प्रारंभ हुआ और कार्य आज तक अधूरा है। इस वजह बाढ़ में इस पुल के डायवर्सन पर लोगों को ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इससे क़ई सप्ताह तक प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग रहता है और किसी जनप्रतिनिधि की नजर इसपर नहीं पड़ी। इस संबंध में पुल निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता राममोहन सिंह ने बताया कि कार्य चल रह था। उसी क्रम में 29 नवम्बर 2019 को पुरातत्व विभाग की चिट्ठी मिली और काम रोक देना पड़ा। हालांकि वे आशान्वित हैं कि विभाग उन्हें इसी जगह पर पुल बनवाने की अनुमति दे देगा। लेकिन पुरातत्व विभाग के नियमों को समझें तो ऐसा उसके निषिद्ध क्षेत्र में होने के कारण मामला फंस गया है।

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