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भगवान भरोसे दोन की सिचाई व्यवस्था, भाग्य के सहारे उत्पादन

यूपी दिल्ली बिहार होते हुए बंगाल के मंडियों तक अपनी खुशबू को बिखेरने वाले बासमती धान का उत्पादन दोन में होता है। पर यह सब भगवान के भरोसे होता है। इसका कारण है कि यहां सिचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश अच्छी तो फसल अच्छा बारिश नहीं तो फसल नहीं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 12:18 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 12:18 AM (IST)
भगवान भरोसे दोन की सिचाई व्यवस्था, भाग्य के सहारे उत्पादन

बगहा । यूपी, दिल्ली, बिहार होते हुए बंगाल के मंडियों तक अपनी खुशबू को बिखेरने वाले बासमती धान का उत्पादन दोन में होता है। पर, यह सब भगवान के भरोसे होता है। इसका कारण है कि यहां सिचाई की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश अच्छी तो, फसल अच्छा बारिश नहीं तो फसल नहीं। जबकि यह क्षेत्र बासमती धान के हब के रूप में प्रसिद्ध है। पर, प्रखंड के उत्तर स्थित दोन क्षेत्र के हजारों एकड़ भूमि की सिचाई भगवान के भरोसे ही होती है। इंद्र देव मेहरबान उस साल उच्छी उपज व खेती जिस साल भगवान नाराज खेती भी खत्म। ऐसा प्रत्येक साल होता है। सिचाई के साधन विहीन दोन क्षेत्र की भूमि पहाड़ी होने के कारण यहां बोरिग करना काफी कठिन काम है। साथ ही इस क्षेत्र में बिजली आपूर्ति नहीं होने के कारण सरकारी व निजी नलकूप भी नहीं लग सकता है। इस क्षेत्र में सिचाई को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई मसान डैम परियोजना के डब्बे में चले जाने के कारण रही सही आस भी वर्षो पहले धूमिल हो गई है।

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पहाड़ी नदियां हैं सहारा :-

इस क्षेत्र के किसान अपने खेतों में पटवन के लिए क्षेत्र के नदियों का सहारा लेते है। यहां से गुजरने वाली आधा दर्जन पहाड़ी नदियों की नियती यह है कि बारिश अगर होती है तो, इन नदियों में जलस्तर पटवन के लायक रहता है। जिसपर बांध बांधकर या फिर पंपसेट लगाकर किसान अपने खेतों का पनवट कर लेते है। पर अगर बारिश कम हुई व गर्मी ज्यादा पड़ी तो नदियों का जलस्तर बिल्कुल नीचे चला जाता है। कुछ नदियां तो बिल्कुल सूख जाती है। जिससे खेतों में सिचाई नहीं हो सकती है। किसान चंद्र मणि काजी का कहना है कि अगर बारिश होती है तो धान समेत सारे फसल अच्छे होते है। वरना सभी पर ग्रहण लग जाता है। मनोज महतो कहते हैं कि सालों से इस समस्या से गुजर रहे हैं। पर, अभी तक इसका कोई उपाय नहीं किया गया है।

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बयान :

सिचाई के माकूल इंतजाम नहीं होने के कारण दोन में भगवान भरोसे ही खेती होती है। अगर इन क्षेत्रों में नहर व नलकूप की सुविधा होती तो यहां के किसान आर्थिक रूप से और मजबूत होते।

अरूणमाया देवी, मुखिया, बनकटवा करमहिया

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बयान :

इस क्षेत्र में अगर सिचाई व पनवट का समुचित इंतजाम हो जाता तो कई तरह की खेती इस क्षेत्र के किसान भी कर पाते।

राम कृष्ण खतईत, मुखिया, मनचंगवा

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