Move to Jagran APP

बगहा के बाल वैज्ञानिकों ने बढ़ाया क्षेत्र का सम्मान

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हम बगहा क्षेत्र के उन बाल वैज्ञानिकों की प्रतिभा की चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपने क्षेत्र का परचम लहराया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:10 AM (IST)
बगहा के बाल वैज्ञानिकों ने बढ़ाया क्षेत्र का सम्मान
बगहा के बाल वैज्ञानिकों ने बढ़ाया क्षेत्र का सम्मान

पश्चिमी चंपारण। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हम बगहा क्षेत्र के उन बाल वैज्ञानिकों की प्रतिभा की चर्चा कर रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपने क्षेत्र का परचम लहराया है।

loksabha election banner

हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह दिवस रमन प्रभाव की खोज के कारण मनाया जाता है। भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन को इस खोज के कारण वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद की पहल पर वर्ष 1987 से हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता। संसाधनों की कमी से जूझ रहे बगहा के छात्र-छात्राओं ने भी समय समय पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। वह भी तब जब बगहा में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है।

वर्ष 2017 में 45 वीं जवाहर लाल नेहरू विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी में सहकारी प्रोजेक्ट बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पठखौली की दो छात्राओं ने जलाशय और जल संरक्षण तथा गणितीय प्रतिरूपेण में अपना मॉडल प्रस्तुत कर खूब वाहवाही बटोरी। स्नेहा राज और रूपाली कुमारी के प्रोजेक्ट को राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया। उस साल इसी विद्यालय की रोशनी खातुन और मीना कुमारी ने 25 वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में लीवर का मित्र घोंघा विषय पर बेहतर प्रोजेक्ट प्रस्तुत करने के लिए सम्मानित किया गया। दोनों छात्राओं ने परंपरागत खाद्य संरक्षण व भंडारण पर दूसरा प्रोजेक्ट भी तैयार किया था।

वर्ष 2018 में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, एससीइआरटी व बीसीएसटी बिहार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बाल विज्ञान कांग्रेस में सहकारी प्रोजेक्ट बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पठखौली की छात्रा खुशी व अनुष्का ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पश्चिमी चंपारण जिले का प्रतिनिधित्व किया।

खुशी ने रोटी को घंटों ताजा रखने वाला पॉट और लंबे समय तक सब्जियों को ताजा रखने वाला प्राकृतिक फ्रिज का प्रारूप तैयार किया। उसने अपने इस प्रोजेक्ट में जंगलों और खेतों के आसपास उगने वाली मूंज व जंगली घास का प्रयोग किया। प्लास्टिक और हानिकारक केमिकल के लगातार प्रयोग से प्रकृति को होने वाले नुकसान से बचाने वाले खुशी के इस प्रोजेक्ट को काफी सराहना मिली। पहले राज्य स्तरीय व फिर राष्ट्रीय स्तर पर खुशी के मॉउल को प्रस्तुत किया गया। ग्वालियर में आयोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में खुशी ने अपने प्रोजेक्ट के बल पर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। उसे सम्मानित भी किया गया। बता दें कि खुशी नरईपुर निवासी बबलू पांडेय की पुत्री है। इस साल उसने मैट्रिक की परीक्षा दी है। खुशी के शिक्षक निप्पू कुमार पाठक बताते हैं -उसका सपना है कि पढ़ाई पूरी कर वह वैज्ञानिक बने तथा प्लास्टिक समेत अन्य हानिकारक रसायनों के प्रयोग से होने वाले नुकसान को बचाने की दिशा में नया काम करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.