बालिका दिवस : राष्ट्रीय स्तर पर कमाल कर रही नरकटियागंज की फुटबॉलर लकी
पश्चिम चंपारण। जब कुछ कर गुजरने के लिए दिलों में अरमान हो और उसके लिए अनुकूल माहौल मिले तो परिवारिक विषम परिस्थितियां भी कामयाबी की सीढि़यां बनाने से रोक नहीं सकती।
पश्चिम चंपारण। जब कुछ कर गुजरने के लिए दिलों में अरमान हो और उसके लिए अनुकूल माहौल मिले तो परिवारिक विषम परिस्थितियां भी कामयाबी की सीढि़यां बनाने से रोक नहीं सकती। कुछ ऐसी ही कामयाबी नरकटियागंज प्रकाश नगर निवासी कपूरचंद प्रसाद और मुनचुन देवी की सबसे छोटी बेटी लकी कुमारी को मिल रही है। उच्च विद्यालय में नवीं वर्ग की छात्रा लकी कुमारी फुटबॉल के क्षेत्र में लगातार कामयाबी हासिल कर रही है। करीब आठ वर्ष की उम्र से उसने फुटबॉल खेलना शुरू किया। उच्च विद्यालय खेल के मैदान पर बेटियों के अभ्यास को देखकर उसके मन में फुटबॉल के प्रति उत्सुकता जगी। मैदान में पहुंचने और उसी उम्र में फुटबॉल खेलना शुरू किया। इस दौरान टाउन क्लब के सचिव सुनील वर्मा की नजर उस पर पड़ी और उसके अंदर छिपी प्रतिभा को उन्होंने तराशने का बीड़ा उठाया। आज लकी राष्ट्रीय स्तर के महिला फुटबॉल प्रतियोगिताओं में परचम लहरा रही है। अंडर 14 इस खिलाड़ी ने पिछले दो वर्षो में महाराष्ट्र के नागपुर और उड़ीसा के कटक में आयोजित स्कूल स्तरीय राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता में अपनी भागीदारी निभाई। अभी हाल ही में वह हरियाणा के अंबाला में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता का प्रतिनिधित्व कर लौटी है। इतना ही नहीं भारतीय प्रशिक्षण में भी लकी का चयन हुआ है। उसने अंतर जिला और राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में कई सम्मान प्राप्त किया। बता दें कि लकी एक ऐसे परिवार से आती है, जिसके माता-पिता सड़क के किनारे भुजा पकौड़ी की दुकान चलाकर परिवार के लिए दो जून की रोटी की व्यवस्था करते हैं। भाई-बहनों में लकी सबसे छोटी बहन है। घर की माली हालत ठीक नहीं। फिर भी माता पिता ने बेटी के अरमान को पंख लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। खिलाड़ी लकी कुमारी का कहना है कि फुटबॉल में अब तक जिस स्थान पर पहुंची हूं उसके पीछे टाउन क्लब के सचिव सुनील वर्मा का मार्गदर्शन और अपेक्षित सहयोग के कारण संभव हो पा रहा है। खुद सचिव सह प्रशिक्षक सुनील वर्मा ने बताया कि बेहद गरीब परिवार से आने वाली लकी के अंदर प्रतिभा है। उसका संघर्ष नरकटियागंज ही नहीं जिले और सूबे का नाम काफी आगे तक ले जाएगा।