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जिले की अधिकांश नदियां हो रहीं प्रदूषित

नदियों को धरती का प्राण कहा जाता है जो हमारी पृथ्वी व समस्त जीव जगत को ¨जदा रखती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 01:22 AM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 01:22 AM (IST)
जिले की अधिकांश नदियां हो रहीं प्रदूषित

बेतिया। नदियों को धरती का प्राण कहा जाता है जो हमारी पृथ्वी व समस्त जीव जगत को ¨जदा रखती है। लेकिन हम विकास के इस अंधी दौड़ में नदियों के जल को प्रदूषित करते जा रहे हैं जिससे प्रकृति का नैसर्गिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। नदियों के जीवन पर तो संकट मंडरा ही रहा है। आम लोग, जलीय जीव जंतु पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हांलाकि, बेतिया जिला प्राकृतिक जल स्त्रोतों में धनी माना जाता है। जिले में नदी नालों तालाबों, चवर और मनो की काफी संख्या है। और व्यापक क्षेत्र में फैला भी हुआ है। विश्व और राष्ट्रीय स्तर पर भले ही जल की विकट समस्या खड़ी हो लेकिन जिले में जल संकट ना के बराबर है। शहर की के गंदे पानी और कचरे छोटे नाली से होते हुए नदी में ही समाहित होते हैं। इतना ही नहीं जिले में स्थापित चीनी मिल और छोटे कल-कारखाने के ठोस कचरा, द्रव कचरा, तेजाब, गंधक, अन्य रसायन भी छोटी छोटी नालियों के सहारे कही न कही इन्हीं नदियों में गिरते हैं, जिससे जिले की सीकर हना, हरबोड, रामरेखा, चंद्रावत, कोहड़ा आदि नदियों का जल प्रदूषित हो जाता है। जल के प्रदूषण होने से सभी जलीय जीव जन्तु के जीवन पर संकट मंडरा रहा है । कई जलीय जीव तो विलुप्त भी हो चुके हैं।

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क्या कहते हैं पर्यावरणविद

जिले के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक सह वरिष्ठ पर्यावरणविद और शरद संस्था के अध्यक्ष डॉ. देवीलाल कहते हैं कि हमारे जिले की नदियां कूड़े-कचरे आदि गिरने से काफी जहरीली हो गई है। नतीजतन मछलियां तो मर ही रही हैं जलीय जीव भी विलुप्त के कगार पर है। इसके लिए कई बार हमने अभियान भी चलाया है। उन्होंने बताया कि नदियों के प्रदूषित होने से जलीय जीव घोघा सांप केंचुआ आदि मर रहे हैं। जबकि जैव विविधता के लिए इन सभी जलीय जीव का रहना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था प्राकृतिक विरासत नदी, पहाड़, वन आदि को बचाने के लिए तरह तरह की जागरूकता अभियान चला रही है। जिससे कि हमारी प्राकृतिक विरासत बच सकें। उन्होंने बताया कि सिकरहना नदी और हरबोड़ा नदी में चीनी मिल के ठोस और द्रव कचरे के गिरने से इतनी जहरीली हो गई है कि चनपटिया में आते आते सिकरहना नदी का पानी काला हो जाता है। वह पानी ना तो पशुओं के पीने लायक रह जाता है और ना किसी अपने उपयोग के लिए उपयोग के लिए। उन्होंने जिला प्रशासन व मिल प्रबंधन से मिलकर इस समस्या से निजात निकालने की बात कहीं।लोगों से भी इस मामले में जागरुक होने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब नदियां बचेगी तो हम भी बचेंगे।


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