भागवत कृपा से ही जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है
पतिलार मठ परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण कथा व राष्ट्र रक्षायज्ञ में शनिवार की रात्रि स्वामी उपेन्द्र पराशर जी महाराज ने सृष्टि रचना प्रसंग सुनाकर भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
पश्चिमी चंपारण। पतिलार मठ परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत पुराण कथा व राष्ट्र रक्षायज्ञ में शनिवार की रात्रि स्वामी उपेन्द्र पराशर जी महाराज ने सृष्टि रचना प्रसंग सुनाकर भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया।पर्यावरण की रक्षा के लिए भक्तों ने प्रतिवर्ष एक-एक पौधे लगाने का संकल्प लिया।भागवत भगवान की कृपा से ही जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है।परमात्मा की शरण में जाने मात्र से काम क्रोध, लोभ मोह व अहंकार आदि का नाश हो जाता है।सृष्टि की व्याख्या करते हुए बताया कि जल,स्थल,वनस्पति व सम्पूर्ण सृष्टि ब्रम्हा जी की रचना है।हम सभी मनु पुत्र हैं।हमारे पूर्वज ऋषि पुत्र हैं।ब्रह्मा जी के शरीर से योग का प्रादुर्भाव हुआ।जिसमें बाएं भाग से शतरूपा व दाएं भाग से मनु का प्रादुर्भाव हुआ।उन्हीं से इस सृष्टि की रचना हुई।बाद में जल,स्थल,वनस्पति व सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण हुआ।सृष्टि को कायम रखने के लिए पौधारोपण अत्यंत आवश्यक है।जो पृथ्वी पर जीवन के लिए नितांत जरूरी है।उन्होंने बताया कि संसाधनों के दुरुपयोग से ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है।जिसका एक मात्र उपाय पौधारोपण है। उन्होंने भक्तों से प्रतिवर्ष एक एक पौधे लगाने को कहा।पौधारोपण से बढ़कर कोई बड़ा पुण्य नही होता है।बीच बीच में भक्त भक्ति संगीत सुनकर संगीत के समंदर में गोते लगा रहे थे।