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बच्चों को अभी भरपेट खाने दो, आगे क्या होगा देखेंगे

मैनाटांड़ में सुबह दस बजे फटे-पुराने कपड़ों में लिपटी एक चालीस वर्षीया महिला के दोनों कंधों पर मासूम बच्चे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 12:54 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 06:11 AM (IST)
बच्चों को अभी भरपेट खाने दो, आगे क्या होगा देखेंगे

बेतिया। मैनाटांड़ में सुबह दस बजे फटे-पुराने कपड़ों में लिपटी एक चालीस वर्षीया महिला के दोनों कंधों पर मासूम बच्चे हैं। कमर पर बड़ा सा बैग। साथ में भारी दो गठरियां उठाए जा रही है। इसके साथ 21 लोगों का कुनबा है. उलझे बाल, बिखरे कपड़े, चेहरा पसीने से तरबतर और बच्चों के सूखे होंठ। साथ में चल रहा एक अधेड़ के हाथ में एक पुरानी सी प्लास्टिक की दो लीटर की बोतल थी, जिसमें थोड़ा सा पानी भरा हुआ था। पैरों में छाले पड़ गये थे। लग रहा था जैसे बहुत दूर से चलकर आ रहे हों। उस अधेड़ कंधों पर बैठा एक बच्चा ऊंघ रहा था। शायद इस अनजान सफ़र की थकान में सोया भी नहीं था। या फिर रात में भी चले थे, इस वजह से मासूम की नींद पूरी नहीं हुई थी। इसी तरह कतार में सभी लोग थे। पूछने पर पता चला कि ये सभी यूपी के बिलासपुर जिले के बडखेड़ा थाने के गंजराहा गांव के निवासी हैं। छह माह पहले नेपाल के परसा जिला के चिल झपटी में एक चिमनी में मजदूरी करने गए थे। कोरोना को ले लॉकडाउन की वजह से परसा जिला में क‌र्फ्यू लग जाने के कारण वहां काम-धंधा बंद हो चुका है। जब वहां खाने-पीने की किल्लत हुई तो वापस अपने घर जा रहे हैं। पूछने पर बताया कि रात को खाना खाया था। पूरी रात पैदल चले हैं। किसी तरह से सरेह के रास्ते आकर बॉर्डर पार किए हैं। अब घर जाना चाहते हैं। खुली गठरी तो टूट पड़े बच्चे

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बैठने की जगह मिलते ही भूख से व्याकुल बच्चे खाने की जिद करने लगे। एक मां ने गठरी खोली तो अन्य बच्चे भी अपनी मां से खाने की जिद करने लगे। 21 लोगों के इस कुनबे में तीन परिवार था। तीनों की गठरियां खुली और रोटी की पोटली निकली। एक- एक रोटियां बांटी गई। लेकिन बच्चे और रोटी की जिद कर रहे थे। हालांकि मां की ममता बच्चों के आगे निढ़ाल थी। पहले तो उसने अपने हिस्से की रोटी बच्चों को दी। इससे भी जब उनकी भूख नहीं मिटी तो वह दोबारा पोटली खोलने के लिए आगे बढ़ी थी कि पति ने टोका। अभी सफर दूर है। रोटियां कम हैं। पता नहीं आगे कुछ मिले भी या नहीं। फिर मां ने कहा-बच्चों को अभी पेट भर खाने दो, आगे क्या होगा, देखेंगे। मिला चूड़ा और गुड़, सवारी नहीं यूपी के बिलासपुर जिले के बडखेड़ा थाने के गंजराहा गांव निवासी राम शरण ने बताया कि दोपहर बार प्रशासन की ओर से चूड़ा और गूड़ दिया गया है। हम सवारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। साहब से अभी मुलाकात नहीं हुई है। प्रवासी हरि ओम ने बताया किराया भी नहीं है। अगर प्रशासन की मदद नहीं मिली तो पैदल ही गांव जाएंगे। प्रवासी मंगली प्रसाद, ओमकार आदि ने बताया कि अब कमाने के लिए नेपाल नहीं जाएंगे। अपने गांव में ही हल कुदाल चलाएंगे और उसी से आजीविका चलेगी। कोट

नेपाल से चलकर कुछ प्रवासी आए हैं। उनको यूपी जाना है। यूपी बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए वाहन की व्यवस्था हो रही है।

राजकिशोर शर्मा, बीडीओ, मैनाटांड़


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