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कोरोना की चेन को तोड़ने में बाधक बनी भारत- नेपाल की आवाजाही

कोरोना की दूसरी लहर को लेकर सिकटा-भिस्वा बॉर्डर अभी भी सील है। लेकिन प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग ग्रामीण रास्ते से भारत- नेपाल में आवाजाही कर रहे हैं। जो लोग ग्रामीण रास्ते से आवाजाही कर रहे हैं वे जांच कराने के लिए पीएचसी में जाते भी नहीं है। ऐसे में कोरोना की चेन को तोड़ना मुश्किल लग रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 01:43 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 01:43 AM (IST)
कोरोना की चेन को तोड़ने में बाधक बनी भारत- नेपाल की आवाजाही
कोरोना की चेन को तोड़ने में बाधक बनी भारत- नेपाल की आवाजाही

बेतिया । कोरोना की दूसरी लहर को लेकर सिकटा-भिस्वा बॉर्डर अभी भी सील है। लेकिन प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग ग्रामीण रास्ते से भारत- नेपाल में आवाजाही कर रहे हैं। जो लोग ग्रामीण रास्ते से आवाजाही कर रहे हैं, वे जांच कराने के लिए पीएचसी में जाते भी नहीं है। ऐसे में कोरोना की चेन को तोड़ना मुश्किल लग रहा है। नेपाल के सीमावर्ती गांव के लोगों के लिए दैनिक सामग्री की खरीद के लिए मार्केट भारत का सीमावर्ती बाजार सिकटा है। यहां नेपाल से बेधड़क लोग आते हैं और दुकानों पर सामान खरीदने के लिए भीड़ लगाते हैं। कुछ इसी तरह नेपाल के सीमावर्ती गांवों से मजदूरों का आना भी भारतीय क्षेत्र में होता है। इनकी आवाजाही रोक पाना प्रशासन के लिए भी चुनौती है। इसमें सबसे बडा बाधक सीमा का खुला होना है। देश में कोरोना महामारी के दस्तक देते ही भारत नेपाल सीमा सील कर दी गई थी। इसे वैधानिक रूप से बीते 24 मार्च 2020 को दोनों देशों की ओर से आवाजाही रोक दिया गया। रोक सिर्फ मुख्य मार्गो तक ही सिमट कर रह गया। इन रास्तों पर आज भी बैरिकेडिग लगे हैं। दोनों तरफ सुरक्षा बल तैनात है। लेकिन इसके बावजूद पूरब व पश्चिम से ग्रामीण रास्ते से लोग आवाजाही कर रहे हैं।

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बॉर्डर पर कोरोना जांच की व्यवस्था नहीं

नो मेंस लैण्ड के उत्तर नेपाल व दक्षिण भारतीय लोगों के खेत हैं। ग्रामीण राजदेव प्रसाद, मनोज कुमार का कहना है कि कृषि कार्य करने के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता है। यही नही भारत नेपाल के बीच बेटी रोटी का संबंध वर्षो पुराने हैं। इसे लेकर आवाजाही लगी रहती है। खुली सीमा को लेकर कोई रोकटोक नही है। जहां पुलिस प्रशासन होती है उस मार्ग को छोड दूसरे रास्ते से लोग सीमा पार करते है। नेपाल के तराई क्षेत्रों में कोई ढंग का बाजार भी नही है। जिसे लेकर नेपाल के लोग दैनिक उपयोग के सामान की खरीदारी को लेकर सिकटा बाजार में आते है। फिर भी बॉर्डर पर कोविड जांच की कोई व्यवस्था नही है। ग्रामीण मनोज महतो का कहना है कि पिछले वर्ष जब कोरोना वैश्विक महामारी फैली थी तो उस वक्त बॉर्डर पर कोविड जांच के लिए कैंप लगा था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के इतना खतरनाक होने के बावजूद कोविड जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि सरकार का मानना है कि कोरोना के चेन को जांच का दायरा बढ़ा कर तोड़ा जा सकता है।

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कोट

बॉर्डर सील है। इस वजह से कोविड जांच टीम को हटा दिया गया है। प्रशासनिक पहल तेज हो गई है। कोरोना की दूसरी लहर की गंभीरता को लेकर बॉर्डर पर आवाजाही पर रोक लगाने का प्रयास व बाजारों में भीड़ पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है।

--- डॉ. महम्मद नजीर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सिकटा

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कोट

बॉर्डर पर आवाजाही पर पूर्णत: पाबंदी की कार्रवाई की जा रही है। कोविड जांच के लिए मेडिकल टीम के साथ बैठक बुलाई गई है। बाजार के लिए नेपालियों को रोकने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।

मनीष कुमार, अंचलाधिकारी, सिकटा


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