बाढ़ के खौफ में ही बीतता साल का तीन माह
मैं नरकटियागंज की भभटा पंचायत मुख्यालय गांव हूं। मेरी पीड़ा है कि मैं तीन नदियों से चारों ओर से घिरी हूं।
बेतिया। मैं नरकटियागंज की भभटा पंचायत मुख्यालय गांव हूं। मेरी पीड़ा है कि मैं तीन नदियों से चारों ओर से घिरी हूं। कभी बाढ़ तो कभी सुखा मेरी सबसे बड़ी दुर्दशा है। मेरी पहचान अल्पसंख्यक और महादलित बहुल गांव की है। मेरे बच्चों को हर साल बाढ़ की तबाही का मंजर नजर आता है। मेरे बच्चों को अब तक उप स्वास्थ्य केंद्र तक नसीब नहीं हुआ। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मैं खुद चारो ओर से नदियों से घिरी हूं, फिर भी मेरे आंगन के बच्चों को पानी निकासी के लिए मुख्य नाला आज तक नसीब नहीं हुआ। गांव का दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी एक हिस्सा फुलवरिया टोला तक पहुंचने का सड़क मार्ग अब तक नहीं बना। जबकि मेरे इस हिस्से में मेरे 17 सौ बच्चे पलते हैं। ग्रामीणों ने सुनाई पीड़ा
भभटा पंचायत मुख्यालय गांव के मुमताज आलम, फरमान मियां, अली इमाम, जहिर मियां, कैलाश ठाकुर, यासीन अंसारी, महादेव पटेल, गोखुल साह, दिनेश साह, मोजम्मील हुसैन, माथूर साह, नुरूल होदा, ग्वाल मियां, हरद्वार साह, जलील मियां समेत कई ग्रामीणों का कहना है कि हर वर्ष यहां करताहां, पंडई और मनियारी नदी से बाढ़ की तबाही का खतरा बना रहता है। गत वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ से तबाह हुए अनेक लोगों को अब तक सहायता राशि का नहीं मिली। सबसे बड़ी व्यथा कि वर्ष 2011 में हुए सर्वे में बाबुओं ने कई ऐसे जरूरतमंदों का नाम छोड़ दिया गया, जिससे कि वे आज तक राशन और आवास के लाभ से वंचित हैं। गांव में सामुदायिक भवन तक नहीं है। गांव की आबादी
भभटा गांव में कुल छह वार्ड शामिल है। यहां की कुल आबादी करीब 12 हजार की है। जिसमें युवा 50 प्रतिशत और दलित 30 प्रतिशत हैं। गांव की शिक्षा दर 20 प्रतिशत के करीब है। गांव में सरकारी नौकरी में करीब 40 लोग हीं हैं।
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