अध्यक्ष का पद रिक्त रहने से तीन माह से वादों की सुनवाई ठप
जिला उपभोक्ता फोरम न्यायालय में सोलह माह से जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष का पद रिक्त है। जबकि चार माह से पुरूष सदस्य पद भी रिक्त है।
बेतिया । जिला उपभोक्ता फोरम न्यायालय में सोलह माह से जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष का पद रिक्त है। जबकि चार माह से पुरूष सदस्य पद भी रिक्त है। महिला सदस्य मंजू कुमारी कार्यरत है। लेकिन तीन सदस्यीय पीठ के अभाव में उपभोक्ता वादों का निष्पादन ठप पड़ा है। बीते आठ जनवरी से न्यायालय में वादों की सुनवाई नहीं हो रही है। लगभग 300 उपभोक्ता वाद अभी न्यायालय में विचाराधीन है। इनमें आदेश अनुपालन कराने से जुड़े चालीस इजराय वाद भी शामिल है। फिलवक्त उपभोक्ता न्यायालय में कर्मचारियों की कमी नहीं है। दस कर्मचारी में नौ कार्यरत है, लेकिन तीन सदस्यीय पीठ की पूर्णता नहीं होने के कारण उपभोक्ता न्यायालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। आदेश का अनुपालन नहीं कर रहे विभाग
जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसले आने के बावजूद भी विभाग आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहा है। नतीजन उपभोक्ताओं को इजराय वाद दाखिल कराना पड़ रहा है। बिजली विभाग से जुड़े ऐसे कई मामले इनमें शामिल है। इसके अलावा बीमा कंपनी, बैंक, के भी कई मामले है। मिली जानकारी के अनुसार इजराय वाद संख्या 13/19 व इजराय वाद संख्या 01/19, उपभोक्ता न्यायालय ने बिजली विभाग को बिल सुधार का आदेश जारी किए है, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। जिम्मेवारी से भाग रहें विभाग
विभाग के खिलाफ फोरम आदेश पारित करता है। लेकिन विभाग इसको गंभीरता से नहीं लेता है। इसका सबसे बड़ा कारण विभाग का वकील पटना में रहते है। मामले को पटना में बैठे अधिवक्ता के पास रेफर किया जाता है। जबकि उपभोक्ताओं को पटना जाने में आर्थिक, मानसिक व शारीरिक परेशानी होती है। जिला उपभोक्ता फोरम के खिलाफ राज्य आयोग पटना में ही सुनवाई हो सकती है।
ओमप्रकाश श्रीवास्तव, अधिवक्ता
------------------------------ जिले के उपभोक्ताओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता नहीं के बराबर है। वे दुकानों में जाते हैं और समान लेकर चलते बनते है। ना तो समान निर्माण तिथि ना मृत तिथि देखते है। कैशमेमो भी नहीं मांगते है। ऐसे में सेवा में त्रुटि होने पर उनका उपभोक्ता फोरम में जाना संभव ही नहीं है।
प्रकाश वर्मा, अधिवक्ता
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जागरूकता का घोर अभाव
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की जानकारी देने और उपभोक्ताओं को विशेष रूप से जागरूक करने के लिए कोई भी स्वयं सेवी संस्था धरातल पर नहीं दिखाई देती है। उपभोक्ता दिवस के अवसर पर जिला उपभोक्ता फोरम या अन्य मंचों पर कुछ कार्यक्रम अवसर आयोजित किए जाते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उपभोक्ताओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिया भूमिका निभानी होगी।
नसीम अहमद
समाजसेवी
------------------------- उपभोक्ता अदालत उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है, लेकिन अब यह कुछ व्यवस्था के कारण संभव नहीं है। मामला दायर करने वाले फैसले छह महीने के भीतर नहीं आते है। निष्पादन में तीन से चार साल तक लग जाते है। ऐसे में उपभोक्ताओं की जेब से ज्यादा पैसा खर्च हो जाता है। अगर फैसले पक्ष में नहीं आया तो राज्य आयोग में जाने की समस्या अलग है।
सुरैया शहाब
मानवाधिकार सदस्य