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उदयपुर अभ्यारण्य में सैलानियों का स्वागत करते हैं मेहमान परिदे

बेतिया। देसी व विदेशी पक्षियों के संगम का स्थल उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य कहें तो इसमें कहीं से भी विरोधाभास नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 12:35 AM (IST)
उदयपुर अभ्यारण्य में सैलानियों का स्वागत करते हैं मेहमान परिदे

बेतिया। देसी व विदेशी पक्षियों के संगम का स्थल उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य कहें तो इसमें कहीं से भी विरोधाभास नहीं है। यह इसलिए कि यहां दुनिया भर की अधिकांश प्रवासी पक्षियां आती हैं। वह इस ख्याल से आती हैं कि यहां उनकी वंश वृद्धि भी होती है। यहां इसके लिए अनुकूल वातावरण मौजूद है। जानकारों का मानना है कि यहां 130 प्रजाति की पक्षियां पाई जाती हैं। यहां सरैयामन मन के नाम से जाने जाने वाला झील भी है। प्राकृतिक वन एवं सरैयामन करीब 8 वर्ग किलोमीटर में फैला है जो अपनी ओर पक्षियों को आकर्षित करने में कहीं से भी कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। यहां की आवोहवा एवं झील के पानी की गुणवत्ता प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वैसे तो इस क्षेत्र में पक्षी पूरे वर्ष उपस्थिति दर्ज कराते है, लेकिन शरद ऋतु की शुरुआत से ही यहां विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। पक्षी वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां 6 प्रजाति के दूसरे महादेशों से पक्षियों का आगमन भी होता है। हाल में वन विभाग की ओर से की गई पक्षियों की गणना में एक महत्वपूर्ण बात का खुलासा हुआ है। इसके अनुसार उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य 130 प्रजातियों की पक्षियों के लिए जाना जाने लगा है। वैसे तो पक्षियों की उपस्थिति पूरे वर्ष भर रहती है, लेकिन नवंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक यहां विभिन्न प्रजातियों की रंग बिरंगी पक्षियां अपनी मौजूदगी से यहां की फिजा को रंगीन बना देती हैं। जानकारों का मानना है कि पक्षियों की चहचहाट को सुनने एवं उन्हें देखने के लिए पक्षी वैज्ञानिक भी लालायित रहते हैं। भला ऐसे ²श्य को देखने के लिए कौन नहीं लालायित होगा।

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उदयपुर पर्यटन की सुविधा से भरपूर

उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य में आने वाले पर्यटकों के आवासन एवं उनके घूमने के लिए वन विभाग की ओर से व्यवस्था की गई है। झील के किनारे दो अलग-अलग कॉटेज बनाए गए हैं। इसके अलावा अतिथि गृह में दस बेड की व्यवस्था है। पर्यटक को ठहरने के लिए एक दिन में 1 हजार रुपये देने पड़ते हैं। इसमें चौबीस घंटे तक रह सकते हैं। इसके अलावा भुगतान के आधार पर उनके लिए भोजन की भी व्यवस्था की जाती है। इसकी ऑफ लाइन बुकिंग होती है।

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ऐसे पहुंचें उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य

उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य पश्चिम चंपारण जिले के बैरिया प्रखंड में पड़ता है। यह जगह सड़क से जुड़ी है और यह बेतिया रेलवे स्टेशन से 8 किलोमीटर दूर है। बेतिया की दूरी राज्य मुख्यालय पटना से करीब 200 किलोमीटर है।

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इन प्रवासी पक्षियों का यहां होता है आगमन

कामन किगफीशर, पिज्ड किगफीशर, ग्रेटर काउकल, कामन हॉक काकू, रोज रिग पाराकीट, स्कोटर्ड डोव, रम हेडेड पाराकिट, शूटेड डोव, एमराल्ड डोव, ओस्प्रे, क्लैक कीट, नार्दर्न पिटेल, रेड क्रिसेंट पोचार्ड, कामन पोचार्ड, फेरोजिनस डक, लिटल ग्रेब, ग्रेट क्रिसेंट ग्रेब, एशियन ओपेन बिल स्टोर्क, मालार्ड, ब्लैक ड्रोंगों, ह्वाइट बेल्ड ड्रोंगो, स्मॉल मिनिवेट आदि महत्वपूर्ण पक्षियों का यहां दीदार होता है।

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उदयपुर पक्षी अभ्यारण्य सूबे का एक मात्र महत्वपूर्ण पक्षी अभ्यारण्य है, जहां एक साथ देसी एवं विदेशी पक्षियों का दीदार किया जा सकता है। यहां पर्यटकों के रहने खाने की उत्तम व्यवस्था है।

एचके राय

वन संरक्षक सह निदेशक, वीटीआर


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