बारिश के बाद वीटीआर में छाई हरियाली
बगहा। वाल्मीकिनगर में सितंबर के अंतिम सप्ताह में अच्छी बारिश के कारण वीटीआर की धरा हरियाली से रंग गई है। जंगल पहाडिय़ां हरीतिमा से खिल उठी हैं। अभयारण्य की धरा हरी घास से शोभायमान हो गई है।
बगहा। वाल्मीकिनगर में सितंबर के अंतिम सप्ताह में अच्छी बारिश के कारण वीटीआर की धरा हरियाली से रंग गई है। जंगल, पहाडिय़ां हरीतिमा से खिल उठी हैं। अभयारण्य की धरा हरी घास से शोभायमान हो गई है। मानसून में जंगलों में लम्बे घने पेड़, ऊंची-नीची चट्टानें, झरने, तालाब, नदी, नालों के बीच बसी प्रकृति की अनोखी छंटा देखने को मिल रही है। हरे भरे घने वृक्षों के बीच पहाडिय़ां, पक्षियों के कलरव, दौड़ते हिरण, बहते नदी नाले मानसून में अत्यंत मनोरम दृश्य उत्पन्न कर रहे हैं। बारिश होते ही जंगलों ने हरियाली की चादर ओढ़ ली है। वीटीआर में बाघ, तेन्दुआ, भालू, सांभर, हिरण, नीलगाय, लोमड़ी, चीतल, खरगोश, मोर, जंगली बिल्ली, अजगर जैसे जीव निवास करते हैं। वीटीआर के मध्य बने तालाब पानी से लबाबल भर गए हैं एवं नाले व झरने सुशोभित हो गए हैं। खुला आकाश व हरी-भरी वादियों के बीच जब कास का फूल खिल जाता है तो प्रकृति की खूबसूरती और भी बढ जाती है। कहा जाता है कास के फूल के खिल जाने का मतलब अब बारिश के मौसम की विदाई और शरद ऋतु के आगमन का संकेत है। इन दिनों वीटीआर के आस-पास विभिन्न खेत-खलिहान के आसपास इन दिनों कास फूल अपनी खूबसूरती पर इतरा रहे हैं। हरे हरे जंगलों के आगे की हरी-भरी परती जमीन में सफेद फूल खिलखिलाते हुए ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ मस्ती करते दिखाई दे रहे हैं।
कास के फूल का है औषधीय महत्व
प्रकृति प्रेमी मनोज कुमार ने बताया कि कास का आयुर्वेदिक महत्व भी है। आयुर्वेद के जानकारों की माने तो कास के फूलों का औषधीय उपयोग होता है। इसके फूल की रूई से बने तकिया का प्रयोग करने से सिर दर्द का निवारण होता है। इसकी जड़ को पीसकर सेवन करने से पथरी रोग नष्ट हो जाता है। जबकि गर्मी में सुखद व ठंड का एहसास होता है।