बारिश फसलों में लौटी हरियाली, किसानों के चेहरे खिले
जिले में मंगलवार की रात से रुक-रुक कर हो रही हल्की बारिश ने भले ही आम लोगो की परेशानी बढ़ा दी है, लेकिन बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।
बेतिया। जिले में मंगलवार की रात से रुक-रुक कर हो रही हल्की बारिश ने भले ही आम लोगो की परेशानी बढ़ा दी है, लेकिन बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है। इस बारिश से गेहूं की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद बढ़ा दी है। किसानों का मानना है कि आसमान से गिर रहा पानी सोने के समान है। मंगलवार के रात से ही जिले के विभिन्न इलाके में रुक-रुक कर बारिश हो रही है। इससे सड़कों पर फिसलन बढ़ गया है लेकिन खेत में लगी फसल लहलहा उठे हैं। गेहूं के लिए यह बारिश अमृत के समान माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इससे गेहू की फसल में हरियाली आ जाएगी दाने भी पुष्ट होंगे। यह बारिश मक्का, सरसो के लिए भी काफी लाभदायक साबित होगी। बारिश सरसों के फसल के लिए नुकसानदायक लाही भी खत्म हो जाएगी। सरसों का बीमारी मुक्त हो लहलहा उठेंगे। जानकारों का कहना है कि अक्टूबर माह में गन्ने की हुई रोपाई में भी यह पानी अमृत के समान है। इधर क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डा. अजित कुमार की माने, तो यह बारिश रवि फसलों के लिए फायदेमंद है। इससे किसानों को ¨सचाई जल की बचत हुई है। बारिश के बाद किसानों को नीम कोटेड यूरिया का छिड़काव करना चाहिए। गेहूं, सरसो एवं मक्का की फसल में किसानों को 1.5 किलोग्राम प्रति कठ्ठा यूरिया खाद का छिड़काव करना चाहिए। जबकि अक्टूबर माह में लगाए गए गन्ने की फसल में 2 किलोग्राम प्रति कठ्ठा की दर से यूरिया देना चाहिए।
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बारिश से मिला पर्यावरण से नाइट्रोजन
कृषि वैज्ञानिक डा. अजित कुमार ने कहा कि इस बारिश से फसलों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन मिला है। वर्षा जल के साथ-साथ नाईट्रोजन खेत में पहुंच जाता है, जो फसलों को मिलता है। जानकार बताते हैं कि फसलों में पोषक तत्वों के रूप में सबसे ज्यादा नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। नाईट्रोजन, फासफोरस एवं पोटाश में सर्वाधिक जरूरत नाइट्रोजन की होती है। वर्षा जल से मिले नाईट्रोजन किसानों के लिए भी राहत साबित होगी।
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रबी को मिली संजीवनी
मझौलिया : बुधवार की सुबह मझौलिया प्रखंड क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी से गेहूं को संजीवनी मिल गई है। इससे किसानों के चेहरे खिल उठे हैँ। रिमझिम बारिश से गेहूं के अलावा सरसों एवं मक्के की फसल में फायद हो रहा है। इसके अलावा अक्टूबर माह में की गई गन्ने की खेती में भी लाभ हुआ है। कृषि विशेषज्ञों को मानें तो शीतकालीन बारिश गेहूं के लिए फायदेमंद होती है। गेहूं की बुवाई के बाद किसान बराबर ¨सचाई पर ध्यान रखते हैं। वही किसानों ने बताया कि बारिश से खेतों में पर्याप्त ¨सचाई मिलती है।
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यूरिया के लिए किसानों की लगी लंबी कतार
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बैरिया, संवाद सूत्र : सोमवार की अहले सुबह से ही रिमझिम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे है। बारिश होने के चलते किसानों को आधी परेशानी दूर हो गई है। किसान को पंप सेट से पटवन कराने की समस्या से काफी हद तक राहत मिला है। जानकारों की माने तो गेहूं की फसल के लिए यह बारिश अमृत के समान है। बारिश होने के बाद बुधवार को बैरिया प्रखंड के किसान खाद दुकानों में खाद लेने की होड़ लगी रही। इस क्रम में यूरिया के लिए किसान खाद दुकानों पर चक्कर लगा रहे थे। कुछ किसान एसएफसी गोदाम पर बारिश में भीगते हुए यूरिया के लिए लंबी कतार में लगे रहे। लाइन में लगे किसानों ने बताया कि यूरिया खाद के लिए वे सुबह से ही कतारबद्ध हैं। उनका मानना है कि बारिश होने के बाद खेतों में खाद डालने का यह एक अच्छा समय है। इससे फसलों की पैदावार में बढ़ौतरी होगी। वहीं किसान मोहम्मद मुस्तफा, नजिर मियां, भरत कुशवाहा, नागेंद्र यादव, बंका शाह आदि बताया कि रवि फसल के लिए पहली बारिश से अत्याधिक उत्पादन होने की संभावना बढ़ गई है। इससे किसानों को बहुत राहत मिली है। समय पर बारिश होने से रबी फसलों में जान आ गई है। हालांकि यूरिया खाद दुकानों पर किसानों की लम्बी कतार लगी हुई है। इससे किसानों में खाद मिलेगा या नहीं इसका संशय बना हुआ है।
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बेहतर पैदावार की संभावना
नौतन : रिमझिम बारिश से किसानों के चेहरे की रौनक लौट आई है। रवि फसल के लिए पहली बारिश से अत्यधिक उत्पादन होने की संभावना बढ़ गई है। यूरिया खाद दुकानों पर किसानों की लम्बी कतार खाद के लिए लगी है। रवि की खेती करने वाले किसानो के लिए बारिश अमृत साबित हुआ है। जहां किसान गन्ना भुगतान को लेकर तंगी मे गुजर बसर कर रहे थे, वही बारिश से किसानों को थोड़ी राहत मिली है। किसान यूरिया के तलाश मे सुबह से ही खाद दुकानों पर कतार लगाये खड़े दिखाई दिए।