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गांवों में बाढ़ से हाहाकार, शहर में जाम से त्राहिमाम

बेतिया। जिले के 9 विधानसभा क्षेत्रों से इतर बेतिया विधानसभा क्षेत्र की अलग समस्याएं हैं। बेतिया विधान

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 12:50 AM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 05:05 AM (IST)
गांवों में बाढ़ से हाहाकार, शहर में जाम से त्राहिमाम
गांवों में बाढ़ से हाहाकार, शहर में जाम से त्राहिमाम

बेतिया। जिले के 9 विधानसभा क्षेत्रों से इतर बेतिया विधानसभा क्षेत्र की अलग समस्याएं हैं। बेतिया विधानसभा क्षेत्र में जिला मुख्यालय के अलावा ग्रामीण इलाके का बड़ा भाग भी आता है। जिले के अन्य ग्रामीण इलाकों की तरह बेतिया विधानसभा क्षेत्र के गांव के लोगों की भी बाढ़, रोजी रोटी, रोजगार, मकान, बिजली, पानी मुख्य समस्याएं हैं। वहीं शहरी क्षेत्र के लोग ग्रामीण इलाकों से अलग उच्च शिक्षा, व्यवसाय, सड़क जाम जैसे समस्याओं से त्राहिमाम है। विधानसभा के ग्रामीण इलाकों के कई गांव के लोग हर वर्ष बाढ़ के कहर से जूझने को मजबूर है। वर्षों से यहां के लोगों के अरमान बाढ़ में दफन होते रहे हैं। आजादी के 73 वर्षो बाद भी बाढ़ से निजात के लिए ठोस कार्ययोजना नहीं बन सकी है। अब तो यहां के लोग बाढ़ को नियति मान लिए हैं। लोगों का कहना है कि हर चुनाव में वे ठगे जाते हैं। वोट मांगने वाले नेता बाढ़ से स्थाई निजात का आश्वासन देते हैं। लेकिन चुनाव बीतने के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला रहा था।

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सड़क जाम के कारण ठप हो जाती है शहर की लाइफलाइन

सड़क जाम बेतिया की बड़ी समस्याओं में शुमार है। सड़क जाम के कारण शहर की लाइफलाइन कई बार बिल्कुल ठप हो जाती है। सड़क जाम की समस्या का निराकरण के लिए कई बार पहल भी हुई लेकिन इच्छाशक्ति के अभाव में यह मूर्त रूप नहीं ले सका। उच्च शिक्षा के लिए पलायन छात्रों की विवशता रही है। मेडिकल की पढ़ाई की बात छोड़ दे तो अन्य टेक्निकल पढ़ाई के लिए छात्रों को दूसरों प्रदेश में जाना नियति है। सबसे खस्ताहाल स्थिति लड़कियों की पढ़ाई का है। लड़कियों की हजारों की तादाद होने के बाद भी बेतिया में लड़कियों के लिए एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। यहां व्यवसाय की प्रगति और तरक्की के लिए न माहौल है और ना ही व्यवस्था।

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बोले लोग- दशकों से ठगे जा रहे हैं वोटर

ग्रामीण इलाके 90 वर्षीय मोहन पटेल ने कहा क्या बताएं आजादी के पहले जो स्थिति थी आज भी वही हैं। गांव में बिजली जरूर आ गई है, लेकिन अन्य समस्याएं जस की तस है। सरकारी दफ्तरों में बिना चढ़ावे काम नहीं होता। सरयू महतो ने उल्टे सवाल किया कैसी आजादी है साहब? आजादी तो अफसरों और नेताओं के लिए है। पहले भी खेतों में काम करते थे। आज भी खेत ही सहारा है। बाढ़ से खेती चौपट हो जाती तो परिवार के भोजन पर भी लाले पड़ जाते हैं। न्यू कॉलोनी के अजय कुमार ने कहा कि शहर की स्थिति काफी खराब है। यहां न जल निकासी का ठोस प्रबंध है ना ही सफाई का। वोट के समय नेता शहर के सौंदर्यीकरण का आश्वासन देते हैं। बाद में यह हवा हवाई साबित होता है। आजिज कॉलोनी निवासी मोहम्मद जमाल अख्तर ने कहा कि शहर को सड़क जाम से निजात मिल जाए तो लोगों की बड़ी समस्या हल हो जाएगी। चुनाव के समय प्रत्याशी सिर्फ कोरा आश्वासन देते हैं।


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