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जान जोखिम में डालकर करते हैं भोजन का जुगाड़

पेट की आग बुझाने के लिये इंसान अपनी जान की भी परवाह नहीं करता है। जान पर खेल कर दो वक्त की रोटी के लिये बुधवार को नगर के दीनदयाल नगर गंडक नदी के घाट पर कई नाविक जंगल से आ रही लकड़ी को नदी की धारा से नाव से पहुंच कर नदी किनारे लाते हुए दिखाई दिये।

By Edited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 09:41 PM (IST)
जान जोखिम में डालकर करते हैं भोजन का जुगाड़

बगहा। पेट की आग बुझाने के लिये इंसान अपनी जान की भी परवाह नहीं करता है। जान पर खेल कर दो वक्त की रोटी के लिये बुधवार को नगर के दीनदयाल नगर गंडक नदी के घाट पर कई नाविक जंगल से आ रही लकड़ी को नदी की धारा से नाव से पहुंच कर नदी किनारे लाते हुए दिखाई दिये। इस दौरान लकड़ी दूर से देखते हुए नाव को तेजी से बीच धारा से बांध कर किनारे लाने के क्रम में इनकी जान को भारी खतरा है। बावजूद ये लोग यह काम बरसात में जब नदी की धारा अपने प्रवाह पर होती है तो करते है। लकड़ी निकालने वाले नाविक बताते है कि अधिकांश लकड़ी जलावन ही होती है। कभी कभी ही फर्नीचर आदि में उपयोग होने वाली लकड़ी होती है। इन लकड़ियों को बेच कर परिवार के लिये भोजन आदि का जुगाड़ करते है। लगभग सभी घाटों पर लकड़ी निकालने का काम इन दिनों जोरों पर है। सुत्र बताते है कि कुछ लकड़ी तस्कर जंगल से सखुआ सागवान आदि कीमती लकड़ी को नदी में डाल देते है। उनके आदमी नाव से उन लकड़ियों को नदी के विभिन्न घाटों से निकाल कर महंगे मूल्य पर बेचा करते है। इस धंधा में रिस्क ना के बराबर है।


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