दो राजस्व गांव जोड़ने के लिए 8 दशक बाद एक भी पुल नहीं
बेतिया। गौनाहा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद अपनी पुस्तक Þचंपारण में गांधीÞ में लिखते हैं कि 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चंपारण प्रवास के दौरान पैदल यात्रा कर मरजदी गांव गए थे।
बेतिया। गौनाहा, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद अपनी पुस्तक Þचंपारण में गांधीÞ में लिखते हैं कि 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चंपारण प्रवास के दौरान पैदल यात्रा कर मरजदी गांव गए थे। लेकिन, आजादी के आठ दशक बाद भी मरजदी और मरजादपुर गांव को जोड़ने के लिए आज तक एक पुल का निर्माण नहीं हुआ। बरसात के चार माह गांव से निकलना ग्रामीणों के लिए काफी मुश्किल रहता है। तीन पहाड़ी नदियों से घिरे होने की वजह यहां के ग्रामीणों को हर वर्ष बाढ़ की चिता लगी रहती है। ग्रामीण इस गांव के लिए एक कहावत भी कहने लगे हैं। कहते हैं चारो तरफ नदी बीच में मरजदी। हालांकि व्यंग्य में कही गई यह कहावत अब इस गांव की पहचान सी बन गई है। ग्रामीण चंद्रकिशोर महतो, विपिन कुमार, हेमन्त कुमार, सत्यनारायण राम, विश्वनाथ राम, लक्ष्मण दिसवा, रविद्र प्रसाद वार्ड सदस्य वीरेंद्र साह आदि का कहना है कि गांव के पूर्व में हड़बोड़ा, पश्चिम में गांगुली नदी के साथ ही गांव के बीचों बीच कटहां नदी बहती है। बरसात के दिनों में तो पूरे इलाके से संपर्क भंग हो जाता है। लगभग 2500 की आबादी यहां निवास करती है। मरजदी और मरजादपुर दो राजस्व गांव हैं। बावजूद इसके आज तक न तो किसी नेता व जनप्रतिनिधि ने और न ही अधिकारी ने इस पर ध्यान दिया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पिछले दो दशक से इस समस्या को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। जब भी चुनाव निकट आता है आश्वासनों का पुल बन जाता है। मगर नदी पर पुल नहीं बन सका। जबकि मरजदी और मेघौली के बीच पुल के निर्माण से करीब 5 पंचायतों को लाभ होगा। हजारों वोटर मुख्यधारा से जुड़कर देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगे। मगर इस उम्मीद पर कायम यहां के ग्रामीण वोटरों का जन प्रतिनिधियों के प्रति खासा आक्रोश है।
इनसेट
विधानसभा चुनाव में नहीं पड़ा था वोट
वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मरजदी मरजादपुर के बूथ संख्या 203 पर इसी मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने एक भी वोट नहीं दिया था। उस बार भी ग्रामीण वोटरों ने अपने गुस्से का इजहार वोट न देकर किया था। वहीं 4 साल बाद आज भी वोटरों में यहीं आक्रोश कायम है। ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ चुनाव के समय उम्मीदवार आते हैं और विकास की बात कहकर सो जाते हैं। मगर, अब ऐसा नहीं होगा।
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