देसी गायों के नस्ल का विकास जरूरी
बेतिया। सृष्टि को पालन करने में गोवंश की अहम भूमिका है, यह सृष्टि को पूर्णता के साथ पोषण करती हैं।
बेतिया। सृष्टि को पालन करने में गोवंश की अहम भूमिका है, यह सृष्टि को पूर्णता के साथ पोषण करती हैं। वैदिक धर्म व संस्कृति में गोवंश को धरती का सबसे बड़ा उपकारी जीव बताया गया है। गौ माता का गुणगान समस्त धर्म ग्रंथ, वेद, उपनिषद पुराणों में की गई है तथा गावो विश्वस्य मातर: की उपाधि भी दी गई है। भारतीय संस्कृति का मूलाधार गौमाता है जिसमें 33 कोटि के देवता एवं प्राणियों का समुदाय प्रतिष्ठित है तथा वें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाली हैं। धरती के लिए वरदायनी, कल्याणकारी, पवित्र, भक्ति, शक्ति एवं मुक्ति के स्त्रोत है हमारी भारतीय नस्ल की गौवंश। उक्त बातें पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी पवन कुमार ने बैरिया प्रखंड स्थित मलाही बलुआ ग्राम में गौमाता के महान पर्व'गोपाष्टमी'के पावन उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही। पतंजलि योग समिति एवं किसान सेवा समिति के कार्यकर्ताओं ने भारतीय नस्ल की देशी गायों की पूजा अर्चना की तथा गोवंश को गुड़ व चारा खिलाया। प्रभारी एवं गौ संवर्धक पवन ने आगे बताया कि गौ धार्मिक रूप से पूजनीय तो है ही। साथ ही साथ गाय एक सफल चिकित्सक भी है जिसके पंचगव्य दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र दिव्य औषधि हैं।गाय का दूध, दही,घी जहां एक ओर हमारे शरीर को संपूर्ण पोषण प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर गाय का गोबर एवं गोमूत्र जटिल से जटिल रोगों का जड़ से नाश करता है। गोपाष्टमी कार्यक्रम में प्रखंड प्रभारी अनिल चौधरी, प्रभु प्रसाद, योग शिक्षक संतोष मणि तिवारी, मानव भारती, संजीव गुप्ता, अनीश कुमार,कुमार शशि भूषण, राज किशोर कुमार,गोपालक सुरेंद्र प्रसाद, संजय साह, मुक्ति भगत आदि ग्रामीण उपस्थित रहें।