चार किलोमीटर सड़क पर धूल फांकती रही 40 हजार की आबादी
बेतिया। नरकटियागंज और रामनगर विधानसभा का सीमाई इलाका और वहां के करीब 40 हजार आबादी के लिए सर्वाधिक नजदीक चमुआ स्टेशन का समुचित लाभ अब तक नहीं मिला।
बेतिया। नरकटियागंज और रामनगर विधानसभा का सीमाई इलाका और वहां के करीब 40 हजार आबादी के लिए सर्वाधिक नजदीक चमुआ स्टेशन का समुचित लाभ अब तक नहीं मिला। इसकी जड़ में करीब दर्जनभर गांवों को जोड़नेवाली चमुआ-शेरहवा डकहवा की कच्ची सड़क आज भी नुमाइंदों की राह देख रही है। तीन पंचायत क्षेत्रों से लगी करीब 4 किलोमीटर लम्बी यह सड़क न केवल कच्ची है बल्कि अनगिनत गड्ढे और धूल से आज भी भरी पटी रहती है। भारी वाहनों का आवागमन नहीं हो पाता। बरसात में तो यह मार्ग बंद ही हो जाता है। अब तक न जाने पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर कितने विधायक और सांसद इस इलाके का प्रतिनिधित्व किए। मगर करीब दर्जनभर गांवों को यह सुविधा देने और उनके विकास के लिए इस सड़क को पक्कीकरण करने की पहल नहीं हुई, जबकि इस इस सड़क का पक्का निर्माण कर दिया जाए तो इलाके के मजदूर- किसानों से लेकर आम नागरिकों के लिए स्टेशन और थरूहट क्षेत्र तक जुड़ना सबसे आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं देवराज क्षेत्र भी थरूहट से सीधा जुड़ जाएगा। लोगों का कहना है कि चमुआ, बभनी और शेरहवा गांवों को जोड़ने वाली वह सड़क पर किसी का ध्यान ही नहीं रहा। आजादी के 70 साल बाद भी इस इलाके के लोग उस कच्ची सड़क पर धूल फांकते हुए चलने को विवश है, जबकि आसपास के क्षेत्रों में सड़कों का संजाल बिछा हुआ है। बावजूद इसके बड़ी आबादी को नरकटियागंज और हरिनगर की अधिक दूरी तय कर ट्रेनों से यात्रा करने की दौड़ लगानी पड़ती है। उल्लेखनीय है कि इस इलाके की अपनी पहचान है। पूर्व मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे केदार पांडेय का पैतृक गांव तौलाहा चमुआ स्टेशन से महज दो किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। चमुआ और शेरहवा डकहवा के बीच उस कच्ची सड़क से एक मार्ग तौलाहा के लिए भी जाती है और वह भी आज तक वहीं दुर्दशा झेल रही है। एक तो लंबे समय से स्टेशन का भी विकास नहीं हो सका। अब जब चमुआ स्टेशन को क्रॉसिग स्टेशन के रूप में तब्दील कर दिया गया। कई महत्वपूर्ण गाड़ियों का ठहराव भी हो गया है। वहां विकास कार्य होने लगा तो इलाके की करीब चालिस हजार की आबादी महज चार किलोमीटर कष्टदायक सड़क की वजह ना तो एक दूसरे से जुड़ पाती है और ना ही स्टेशन का समुचित लाभ ले पाती है। लोग अब भी दूरस्थ स्टेशन तक पहुंचने में समय और साधन अतिरिक्त खर्च करने को विवश है। लोगों के लिए बरसात के महीने में इस मार्ग से आवागमन पर ब्रेक लग जाता हैं। ग्रामीण राघवेंद्र तिवारी, प्रदीप कुमार, सुरेश प्रसाद सिंह, दिवाकर सिंह का कहना है कि शेरहवा, बभनी और चमुआ को पक्की सड़क से जोड़ दिया जाए तो डकहवा धनकुटवा, भंटाडीह, सिसवा, खरकटवा, मुरली, लक्ष्मीपुर आदि गांवों समेत इलाके के लोगों को काफी राहत मिलेगी। लेकिन इस मार्ग के बनने की उम्मीद में कई पीढि़यां गुजर गई लोगों को अपने नुमाइंदों द्वारा पहल का इंतजार लगा रहा।
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