बाढ़ पूर्व सूचना को जन-जन तक पहुंचा कर रोकेंगे नुकसान
वाल्मीकिनगर, ग्रामीण डेवलपमेंट सर्विसेज के सौजन्य से गंडक नदी के किनारे बसे ग्रामीणों के बेहतर जीवन बनाने एवं बाढ़ पूर्व सूचना प्रणाली को विकसित करने के उद्देश्य से भारत नेपाल अंतरसीमा नागरिक मंच के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सीमावर्ती नेपाल के त्रिवेणी स्थित होटल रॉयल पीस में किया गया ।
बगहा। वाल्मीकिनगर, ग्रामीण डेवलपमेंट सर्विसेज के सौजन्य से गंडक नदी के किनारे बसे ग्रामीणों के बेहतर जीवन बनाने एवं बाढ़ पूर्व सूचना प्रणाली को विकसित करने के उद्देश्य से भारत नेपाल अंतरसीमा नागरिक मंच के तत्वावधान में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन सीमावर्ती नेपाल के त्रिवेणी स्थित होटल रॉयल पीस में किया गया । जिसमें इन्डो नेपाल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दर्जनों ग्रामीणों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इस कार्यक्रम में सीमावर्ती नेपाल के तीन ग्राम एवं भारतीय दो विपत व्यस्थापन समिति के सदस्यों ने भाग लिया। सदस्यों के बीच नवीनतम तकनीक व परामर्श का आदान प्रदान किया गया । बैठक में अर्ली वार्निग सिस्टम को बेहतर बनाने पर बल दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य एपीएफ नेपाल के उप निरीक्षक गोविन्द ढकाल ने अपने संबोधन में कहा कि संस्था का प्रयास प्रशंसनीय है । इस अवसर पर आपदा के समय क्या करे और क्या न करें। विस्तार से बताया गया। ग्रामीण डेवलपमेंट सर्विसेज के परियोजना कार्यकारी ओमप्रकाश राय ने बताया कि संस्था के प्रयास से बाढ़ की विभीषिका से होने वाले नुकसान को कम किये जाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यशाला का उद्देश्य देवघाट में लगे जल मापन केंद्र में पानी का स्तर कब कितना रहता है यह किस वेबसाइट से पता चलता है तथा कितना पानी आएगा बाढ़ कब आएगी इस विषय पर विस्तार से बचाओ तकनीकी समझ बनाना आदि शामिल है जिसमें नई तकनीक का आदान प्रदान, सूचना तंत्र की खामियां, नेपाल फल्ड एलर्ट फेस बुक से सूचना आदान प्रदान करना,राहत कोष से मदद,ट्रांस बाउंड्री सिटिजन फोरम बनाने का उद्देश्य,सहमति संस्था के कार्य आदि पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने आगे बताया कि हम बाढ़ विभीषिका एवं प्राकृतिक आपदा का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। लेकिन उससे होने वाले नुकसान को कम जरुर कर सकते हैं। ग्रामीण डेवलपमेंट सर्विसेज की ओर से क्रॉस बॉर्डर वार्निंग सिस्टम इन इंडिया एंड नेपाल कार्यक्रम के तहत एक सूचना तंत्र विकसित किया गया है। इसके तहत गांव में आपदा समूह का गठन किया गया है। समूह का एक नेटवर्क बनाया गया है। सबसे पहले बाढ़ की पूर्व सूचना जल मापन केंद्र देवघाट नेपाल को प्राप्त होती है। देवघाट से दूरभाष के माध्यम से सुस्ता (नेपाल) के टीम लीडर औरंगजेब खान को सूचना मिलती है। वहां से गांव में गठित आपदा समूह चकदहवा(बिहार) को बाढ पूर्व सूचना पहुंचाई जाती है। बगहा 2 प्रखंड के चकदहवा, झंडहवा टोला, कान्ही टोला बीन टोला, ठाढी, एवं पिपरासी ,यूपी के महाराजगंज (उत्तर प्रदेश) के मरचहवा, मटिअरवा, बसंतपुर, मुजा टोला, शिवपुर ,नारायणपुर, बकुलादह, हरिहरपुर आदि क्षेत्रों में संस्था काम कर रही है। प्राकृतिक आपदा के दौरान जान-माल की क्षति कम हो, इसके लिए समुदाय आधारित बाढ़ पूर्व सूचना प्रणाली को मजबूत करने पर बल दिया गया। समुदाय आधारित सूचना तंत्र से जनता को सीधे सूचना मिलती है। लुथरन वर्ल्ड रीलिफ (एलडब्लूआर) के सौजन्य से समुदाय आधारित सूचना तंत्र विकसित किया गया है। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।मौके पर कार्यक्रम के आयोजक, जीडीएस बगहा के परियोजना समन्वयक ओम प्रकाश राय, परियोजना कार्यपालक आशीष कुमार, लेखाकार कार्य कार्यपालक, अक्षयवर नाथ, उदय भान भारती, भारत नेपाल अंतर सीमा नागरिक मंच के उपाध्यक्ष चंद्रावती देवी, सचिव राजू कुमार, सहमति संस्था नेपाल के परियोजना समन्वयक , संयोजक राकेश श्रेष्ठ, मनीष कुमार, ऋषि राम गिरी, सुनील कुमार, सीमा मल्लाह, भानु चौधरी, प्रीतम बहादुर गुरुंग, सुरेश गौड़, सिकंदर राम, विपिन पांडे, सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।