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ब्लैक लिस्टेड अभिकर्ता से काम लेने का मामला पहुंचा निगम मुख्यालय

तकरीबन 14 माह पूर्व एसएफसी मुख्यालय द्वारा ब्लैक लिस्टेड परिवहन सह हथालन अभिकर्ता राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श और चार्जसीटेड अनिल कुमार नामक संवेदक से काम लेने के मामला अब एसएफसी मुख्यालय पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 06:34 AM (IST)
ब्लैक लिस्टेड अभिकर्ता से काम लेने का मामला पहुंचा निगम मुख्यालय
ब्लैक लिस्टेड अभिकर्ता से काम लेने का मामला पहुंचा निगम मुख्यालय

सीतामढ़ी। तकरीबन 14 माह पूर्व एसएफसी मुख्यालय द्वारा ब्लैक लिस्टेड परिवहन सह हथालन अभिकर्ता राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श और चार्जसीटेड अनिल कुमार नामक संवेदक से काम लेने के मामला अब एसएफसी मुख्यालय पहुंच गया है। सोनबरसा निवासी शिव कुमार साह नामक व्यक्ति द्वारा निगम मुख्यालय में दर्ज परिवाद के आलोक में एसएफसी के प्रबंधक जन वितरक ने इस बाबत डीएम को पत्र भेज कर अब तक की गई कार्रवाई से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। बताया गया है कि ब्लैक लिस्टेड होने और एकरारनामा रद करने के बजाए राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श से काम लिया जा रहा है। जबकि, अनिल कुमार द्वारा विभागीय मिलीभगत कर फिटनेस, बीमा और निबंधन फेल वाहनें से अनाज की ढुलाई कराया जा रहा है। बताया गया है कि दोनों संवेदक सरकार की आंख में धूल झोक कर विभाग और प्रशासन की मिलीभगत से गलत तरीके से अनाज की ढुलाई कर रहे हैं। सरकार को चपत लगा रहे हैं। बताते चलें कि पिछले साल निगम मुख्यालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श का एकरारनामा रद्द करने, सुरक्षित बैंक गारंटी मनी जब्त करते हुए अभिकर्ता को काली सूची में डालने का आदेश दिया। वहीं नए परिवहन सह हथालन अभिकर्ता का चयन ई-टेंडरिग के जरिए करने का आदेश दिया था। राज्य खाद्य निगम के उप महाप्रबंधक ने 18 जुलाई 2018 को एसएफसी के जिला प्रबंधक को भेजे गए पत्र में कार्रवाई करते हुए इससे संबंधित रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने परिवहन नीति 2018 की कंडिका-3 की उप कंडिका (3) एवं एकरारनामा के प्रावधानों के तहत राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श का एकरारनामा रद करने, बैंक गारंटी व सिक्युरिटी मनी जब्त करने व संवेदक को काली सूची में डालने का आदेश दिया था। उप महाप्रबंधक ने नई परिवहन नीति 2018 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा था कि इस कानून के तहत एसएफसी के जिला प्रबंधक को सकारण संबंधित संवेदक को काली सूची में डालने का अधिकार है। इसके लिए जिला परिवहन समिति से अनुशंसा प्राप्त करने के लिए भी जिला प्रबंधक को आदेश दिया गया। बताते चलें कि राजेंद्र सिंह एंड ब्रदर्श एसएफसी के परिवहन सह हथालन अभिकर्ता हैं। इन पर सरकारी अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी है। 18 मार्च को इस संवेदक के ट्रक नंबर एचआर 55 एल-3103 को अनाज की हेराफेरी में पकड़ा गया था। वहीं प्रशासन ने इस ट्रक के चालक के खिलाफ प्राथमिकी संख्या 133/18 दर्ज कराई थी। इसके आलोक में एसएफसी के उप महाप्रबंधक ने जिला प्रबंधक से रिपोर्ट मांगी थी। जबकि मार्च में दोनों संवेदकों का करार समाप्त हो गया। इसके बदले विभाग द्वारा टेंडर निकाल इसे रद्द कर दिया गया। इसका फायदा उठाते हुए दोनों संवेदक पूर्ववत कार्य करते रहे। इस बीच निगम मुख्यालय ने डीएम को पत्र भेज कर बार-बार परिवहन समिति की बैठक बुला कर नए सिरे से संवेदक बहाल करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके न संवेदकों पर कार्रवाई हुई और नहीं जिला स्तरीय परिवहन समिति की बैठक ही हुई। उलटे एक एजेंसी को सड़क निर्माण का ग्लोबल टेंडर दे दिया गया।

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