लौरिया अस्पताल में चतुर्थवर्गीय कर्मी करते मरीजों की देखभाल
लौरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित रेफरल अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है।
बेतिया । लौरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित रेफरल अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। भवन के अभाव में अस्पताल प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित प्रखंड कार्यालय के भवन में चलता है। यहां दो महिला चिकित्सकों के साथ कुल पांच चिकित्सक पदस्थापित हैं। लेकिन एक भी कंपाउडर व ड्रेसर नहीं हैं। इस कारण यहां तैनात चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से मरीजों की देखभाल कराई जाती है। प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. अब्दुल गनी ठकराहां में पदस्थापित हैं। वे यहां प्रभार में रहकर सिर्फ औपचारिक तौर पर अस्पताल का कार्य देखते हैं। अस्पताल में दलाल इस तरह हावी हैं कि यहां आयी मरीजों को डिलेवरी के बाद बिना चिकित्सक के दवा लिखे ही मनपसंद दवा दुकानदारों से दवा दिलवा देते हैं। कई बार तो मरीज को बहला फुसलाकर प्राइवेट क्लीनिक तक पहुंचा देते हैं। लौरिया के इस अस्पताल पर करीब तीन लाख लोगों की सेहत का भार है। यहां औसतन प्रतिदिन एक सौ मरीज अस्पताल आते हैं। अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की सुविधा वर्षों से नदारद है। आवास के अभाव में यहां चिकित्सक प्रखंड मुख्यालय में रहना पसंद नहीं करते। दो महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना कुमारी व डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव केवल ओपीडी का काम ही संभालती हैं। डॉ. सुनीता दांत की चिकित्सक हैं। दांत के इलाज के लिए सभी उपकरण होते हुए भी जगह के अभाव में वह भी ओपीडी ही संभालती हैं। डॉ. अब्दुल गनी व डॉ. सचिन किशोर ड्यूटी बांटकर रात में मरीजों को देखते हैं। डॉ. अमरीश भी यहां ओपीडी का कार्य संभालते हैं। बंध्याकरण ऑपरेशन भी जगह के अभाव में बंद है। कहने को तो यहां तीन एम्बुलेंस हैं लेकिन एक खराब है। जेनरिक दवा की दुकान आजतक नहीं खुली है। यहां 32 स्वास्थ्य उपकेन्द्र है, जबकि बगही व गोबरौरा में दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। दोनों अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में केवल ओपीडी का कार्य ही होता है। यहां नया अस्पताल बन रहा है। इस कारण 1994 में बने जीर्ण शीर्ण हो चुके रेफरल अस्पताल को तोड़ दिया गया है। अंग्रेजी राज में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन को भी तोड़ दिया गया है। तत्काल अस्पताल का संचालन प्रखंड कार्यालय परिसर में होता है।
बयान
हमें खुशी है कि ड्रेसर और कंपाउंडर के नहीं रहने के बावजूद चतुर्थवर्गीय कर्मी, एएनएम से अस्पताल चलाया जा रहा है। यहां एंटी रेबीज की सूई भी उपलब्ध रहती है। जो दवा जिला मुख्यालय के अस्पताल में मिलती है वह यहां भी उपलब्ध है और उसे मरीजों को दिया भी जाता है।
-डॉ. अब्दुल गनी
प्रभारी चिकित्सा प्रभारी
लौरिया
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