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फाटक की मरम्मत को नेपाल से लेनी होगी अनुमति

गंडक बराज के क्षतिग्रस्त 33 नंबर फाटक की पुनस्र्थापना का मामला उलझता ही जा रहा है। जल संसाधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि गंडक बराज के 36 फाटकों में से 18 फाटक भारतीय क्षेत्र में आते हैं।

By Edited By: Published: Sun, 31 Jul 2016 10:10 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2016 10:10 PM (IST)
फाटक की मरम्मत को नेपाल से लेनी होगी अनुमति

बगहा। गंडक बराज के क्षतिग्रस्त 33 नंबर फाटक की पुनस्र्थापना का मामला उलझता ही जा रहा है। जल संसाधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि गंडक बराज के 36 फाटकों में से 18 फाटक भारतीय क्षेत्र में आते हैं। जबकि 19 से लेकर 36 नंबर फाटक नेपाली सीमा क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में 33 नंबर फाटक की पुनस्र्थापना कार्य हेतु नेपाली एम्बेसी की अनुमति लेना अनिवार्य है। भारत एवं नेपाल के बीच हुए गंडक समझौते के मुताबिक गंडक बराज का संचालन एवं संपोषण दोनों देशों की सहमति से होना है। वहीं अनुमति के अभाव में देश की नामी गिरामी कंपनी हार्डवेयर एंड टूल्स के विशेषज्ञ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। ऐसे में जैसे-जैसे समय बीते रहा है, 33 नंबर फाटक के बाढ़ के तेज बहाव में बहने की आशंका बढ़ चली है। विशेषज्ञों की मानें तो विभागीय पेच के कारण अनावश्यक विलंब हो रहा है। गेट क्षतिग्रस्त होने के लगभग डेढ़ सप्ताह बाद भी नया गेट बदलना तो दूर स्टाप ब्लाक भी नहीं लगाए जा सके हैं। ऐसे में विभाग भोज के समय कोहड़ा रोपने की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।


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